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________________ प्रायेण वर्तमानेऽप्येतौ स्याताम् 6. 4. प्रायेणात एदिदातः स्युः 6. 7. प्रायेणादेरातोत् 6.45. प्लषष्टश्लोकस्नायुषु नित्यम् 3. 88. फ फंसालुंधौ स्पृशतेः 7. 144. फुसो मृजेः 9. 117. फो वा श्लेष्मणि 3. 29. फो हः 9. 29. ब बटोर्वडुः 12. 16. बदरे देनौत् 1. 8. बर्हारश्च 3. 85. बहिं बाह्ये 8. 30. बहुलं भीष्मादेः • 9. 148. ० बहुलमनुस्वारः ० 5. 132. बाप्पेsणि हः 3. 52. बिन्दुतः कलुक् 9. 152. बिन्दुर्मुचादेः स्यात् 7. 108. बिन्दोर्जे लग् वो० बिसस्य भः 2. 37. o 9. 154. बुड्डुखुप्पौ मज्जतेः स्यात् 7. 8. बुलुग् बुभुक्षायाम् 12. 8. बृहस्पतौ च भः 954. Marg: 9. 113. वो ब्रो: 18.10. भ भरते धस्तस्य 9 25. भवभरप्रादौ 18 8. भवतेर्होहुवौ स्याताम् 7.1. भवत्यां भोदि 10. 4. भवद्भगवतोः सदा 5.52. Index of Sutras Jain Education International भविष्यति भुवः स्यातां 12. 33. भविष्यति स्वश्व त्यादौ 9. 104. भविष्यति हि: 6. 21. भवेतामि हिमौ च ङे: 15. 6. भातेर्भाअ: 9. 116. भावकर्मणोस्तु छवो भवेत् 9. 124. भाविनि ऌट् 9 100. भावे कर्मणि चावे न स्यात् 6. 47. भिन्दिपाले ण्डः 3. 64. भियो भा 9 121. भिसा णे अम्ह अम्हाणं० 5. 105. भिस्यत एत् 5 126. भिस् हिं 5. 6. भुवो भो 9. 108. भूत आसि आहेसि 6.15. भूते विभः स्यात् 6. 40. भूम्नि धः 9. 102. भूम्निन्ति हइत्थामोमुमाः 6. 8. भो स्यादामन्त्रणार्थकम् 8. 10. भो ह्नः 3. 62. मौशीकरचन्द्रिकयोः 2. 5. भ्यसि तुम्हतुज्झतुम इति 5. 89. भ्यसि वा 5 13. भ्यसो तो सुंतो च 5. 8. भ्यस्यम्हममौ स्याताम् 5. 107. भ्रमतेर्दुदुल्लः स्यात् 7. 137. म म आपीडे 2. 15. मइ च ङिना स्यात् 9. 93. महं तु टाङ्यम्भिः 17. 51. मज्जेः खुप्पो न स्यात् 9. 142. मदकलमरकतयोः ० 2. 4. मध्येच 11. 5. 183 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001369
Book TitlePrakritsarvaswam
Original Sutra AuthorMarkandey
AuthorKrushnachandra Acharya
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages424
LanguagePrakrit, Sanskrut, English
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size20 MB
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