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संधि ५२
धुवयं-राउ वि किंकरु किकरु वि होइ राउ फलु कम्मायत्तउ ।
जंत परावत्तह सयलभवसंसारम्मि निरुत्तउ । (१) दुवई–कुलबलरूयतेयजुत्तो वि सुभोउ सुभोउ भूवई ।
हुउ पच्छाहरम्मि किमि पेच्छह दुक्कियकम्मपरिणई ॥ देसम्मि विदेहदेसि पवरे
पुडभेयर्ण मिहिलानामधरे । होतउ सुभोउ चिरु भूमिवई
सो सयलकाल निद्धम्ममई । महएवि मणोरम तासु सई
सुउ सुंदर नामे देवरई। एक्कहिँ दिणे तत्थ गुणोहगुरु
विहरंतु महामुणि देवगुरु। परमावहिनाणविराइयउ।
संघेण समेउ पराइयउ । पार्लाइवि सरहसु मइयमणु
तहो वंदणहत्तिा जंतु जणु । १० कोऊहलेण तुरयारुहिउ
गउ उववणु पहु परियणसहिउ। पणवेवि सूरि संसयसमणु
निसुणेवि धम्मु दुग्गइदमणु । पुच्छिउ कहि महु आगामि भउ
आहासहि होसइ के म खउ । तं निसुणेवि गुज्झु न रक्खियउ
मुणिणा मिहिलेसहो अक्खियउ । घत्ता-अज्जो लग्गेवि सत्तम दिणे निघायघाएण मरेवउ । १५
पइँ निव नियपच्छाहरण किमिणा असियसिरेण हवेवउ ॥१॥
दुवई-पच्चउ प्रायवत्तु भज्जेसइ अज्जु जे पुरि पवेसए ।
तुह मुहपंकयम्मि पुहईस पुरीसपवेसु होसए । अवरु वि पर्ह पेक्खेसहि भुल्लउ
अह गलगवलवन्नु सुणहल्लउ। विज्जुलियहे वोल्लाहु पियारउ
होसइ तुह वडवाहि किसोरउ । 'निसुणेवि एउ असद्दहमाणउ
उट्ठिउ हासु करेप्पिणु राणउ। भग्गु छत्तु पवलिहे पइसंतहो
मुहहु अमेहु पइठ्ठ नियंतहो । सयलु वि सवणवयणु संजायउ
निवमणु नीसंदेहहो पायउ । हक्कारेवि देवरइ पउत्तउ
न चलइ रिसिपाए पु निरुत्तउ।
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