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४६. १८. ६ ] .
[ ४६७ सहँ पिययमात्र मोहियमणेण
बद्धउ नियाणु पियदंसणेण । अहिणासिउ मला मरेवि जाउ'
सुंदरु नामेण मणोज्जु नाउ । ५ भमरिंदनीलगवलंजणाहु
गिरिगरुउ पयंडु पलंबबाहु । कित्ती वि सोयसंजणियपलय
हुय करिणि तासु नामेण मलय । करिवइणा तेण अणोवमाहे
चिरजम्मसणेहवसेण ताहे । सव्वावत्थासु वि साहिलासु
दाहिणउ समप्पिउ देहपासु । रत्तुप्पलदलवन्ना विणीय
पोमावइ वीया हत्थिणीय। १० रयकारिणि सुयणु गयाहिवासु
वामासण सा संचरइ तासु । __ घत्ता-ताहँ विहिँ वि सो संठिउ सोहइ मझे किह ।
__ तारतंबडोंगरियहँ अंजणसेलु जिह ॥१६॥
सम्माणु दाणु मलयावईहे
काऊण करइ पोमावईहे। इय सेज्जहे तेण वसंतएण
तहिँ ताहिं समउ रमंतएण । एक्कहिं दियहम्मि मणोहरम्मि
ण्हाएवि पहंकरसरवरम्मि । मयरसकणरुंटियमहुयराइँ
तोडेवि वेन्नि इंदीवरा। धुत्तेण सणेहपरिक्खहेउ
मलयावईहि संजणिउ खेउ । वामासण सा वलिऊण चित्त .
पोमावई वि दाहिणि निहित्त । दाऊण ताहे कुवलउ करेण
मलयाहि दिन्नु मयणिब्भरेण । मलय वि अहिमाणे तं निएवि
मुय पव्वयाउ अप्पउँ घिवेवि । संजाय सुकेसी एत्थु एवि
सिरिदत्तपुत्ति तुह तणिय देवि । घत्ता–हत्थिधरणु' पेक्खेप्पिणु रन्ने भवंतरिउ ।
हुय जाइंभरि सयलु वि वइयरु संभरिउ ॥१७।।
हा पेच्छह केरिसु कम्मभाउ महु मरणें कइवि दिणाइँ दुक्खु पोमावई सहुँ कील माणु सहुँ ताण सव्वलक्खणपसत्थु चितंति एउ विच्छायवयण ता ताहे पासु पइँ पहिउ पुरिसु १६. १ नाउ ।
वीसरिउ महारउ पेम्मराउ । काऊण करीसरु सुंदरक्खु । अच्छइ सुहेण वर्ण विहरमाणु । तिह करमि जेम सो एइ एत्थु । जामच्छइ सा सारंगनयण । पायउ परिपुच्छिउ जणियहरिसु । १७. १ हत्थे धरण।
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