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४१. ३१. ४ ] ' कहकोसु
[ ४१३ सुहुमसंपराइयगुणथाणा
तुट्ट” मोहकम्मसंताण। होगवि खीणकसाउ पहाणे
एक्कवियक्कविचारें झाणें । दसणणाणावरणइँ नासिवि
अंतराउ दूर हो परिसेसिवि । हउ सोइ जिण केवलणाणिउ
लोयालोउ असेसु वि जाणिउ । तो पुज्जाणिमित्तु अणुराइउ
इंदु चंदु धरणिंदु वि पाइउ । नरविज्जाहरेहिँ अहिणंदिउ
चउविहदेवनिकायहिँ वंदिउ । सहुँ पुहईसें कोसंबोजणु
पत्तउ भत्तिभारभारियमणु । जो हरिवाहणु उज्जेणीवइ
मेल्लिवि रज्जभोउ जाय उ जइ। १० समउँ तेण गुणसीलामयसरि
प्रागय अज्जिय तिलयासुंदरि। जें संबोहिउ अच्चुयसुरवइ
सो वि पराइउ गुणरंजियमइ । घत्ता-सुहमु थूलु जं किंचि जण चरु अचरु विल क्खिउ ।
तं पुच्छंतहो तिहुवणु वि केवलिणा अक्खिउ ।।२९।।
एत्वंतरि वज्जियजम्मरिणु
पुच्छिउ कोसंबीसेण जिणु । उवसग्गो कारण वज्जरइ
लोयही संदेहतिमिरु हरइ । फडहत्थउ नामें पउरधणी
होतउ चंपापुरि आसि वणी । तहो पण इणि नायवसू सुभुया
गरुडाहिदत्त वे पुत्त हुया । सो सायरि लोहवसेण मुउ
नियदविणायार” नाउ हुउ । . ५ तणएण गरुडदत्तण हउ
पंकयपहु नामें नरउ गउ । हउ जेण सो वि तेत्थु जि पडिउ
पावेण भुवणि को णउ डिउ । फणिनारउ उसहावत्तगिरि
वणि एप्पिणु जायउ मत्त करि । इयरु वि नरयायउ पहयपरु
हुउ कंकजंघु नामें सवरु । दसणत्थु सरेहिँ वियारियउ
सो हत्थि तेण तहिँ मारियउ। १० घत्ता--पुणु तिकडपव्वयहो तले खगु नामें कीयउ ।
हुउ तेण जि लाएवि दउ जमनयरहो नीयउ ॥३०॥
दुत्तायरि सायरि सिरिपवेसि वाहु वि हुउ धीवरु तहिँ जि एवि चिरवइरें दूरुज्झियदवेण पुणु उत्तरदेसि कुडुंबियासु
कुरुचिल्लु जाउ पुणु दविडदेसि । मुत्ताहलाइँ तें तउ निएवि । विणिवाइउ सो कक्कडउ तेण । जायउ सुउ करहउ रक्खियासु ।
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