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सिरिचंदविरइयउ
[ ४१. ११. १
११
ताहँ अणंतविजउ पहिलारउ
तासु पासि सासयसुहयारउ । धम्मु सुणेवि तेण सायार
लइयइँ वयइँ कुगइविणिवार। एक्कहिँ वासरि हरि रक्खंतउ
दुद्दिणम्मि सो तरुतलि सुत्तउ । खलतुरएण तेण तहिँ एप्पिणु
मारिउ दंतहिँ गला गहेप्पिणु । देउ पंचपल्लाउ सुहम्म
संभूय उ सग्गे सोहम्म। तत्तो चुउ चंपहे वणिउत्तहो
हुउ भवदेउ पुत्तु भवदत्तहो । तेत्थु जि नंदघोसनामाणहो
आयउ पंचमसग्गविमाणहो । नागदत्तु जिणदत्तहो भज्जन
जायउ पोमण सुउ निरवज्जन । सयलकलाविन्नाणसमिद्धउ
नामें सो जिणदेउ पसिद्धउ । दोहँ वि ताहँ पुव्वनेहायउ
वणिउत्तहँ मित्तत्तणु जायउ। १० घत्ता--कालें जे मेरुप्पहु मुणिनाहु नमंसिवि । जिणदिक्खन जिणदेउ थिउ अप्पाणउ तूसिवि ।।११।।
१२ सव्वसत्थनिम्माणउ जायउ संघवइ । भवदेउ वि भवनोहं हुउ तहु पासे जइ ।। संजमभेउ वियाणिवि दूरुज्झियविसउ । पुच्छेवि गुरु विहरंतउ गउ कलिंगविसउ ।। नंदिगामसामीवण काणणि धीरमइ । अइरावइनइतीरण निच्च' निबद्धरइ ।। घडयो' उवरि परिट्ठिउ आदावणु करइ । चिरभवभाविउ' लोहकसाउ न वीसरइ ।। एक्कहिँ वासरि पूरें निवडिउ नइहि तडु । दिठ्ठ सुवन्नहो रयणहिँ भरियउ तेण घडु ।।
आदावणथडयो तलि आर्णवि निक्खिणिउ । अच्छइ निच्च नियच्छइ जिह कोइ वि धणिउ ।। तासु परिदिउ उप्परि सिलहि निरिक्खियउ ।
थेरीरूवु करेप्पिणु सो जिणदिक्खियउ ।। १२. १ निच्चं पि। २ घडयहो तहो। ३ चिरणियभवभाविउ । “४ निवडिउ ता।
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