SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 358
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २०. १३. १३. .] कहकोसु [ २२३ १२ गाहा-उन्निद्दियउ कुमारो दह्ण जिणिंदमंदिरं हिट्ठो। __उठेवि कयपणामो पइट्टो तत्थ थुइवयणो ॥ तहु दंसणेण पविमयइँ बरे वियडियइँ कवाडइँ गब्भहरे । नाणाथुईहिँ जिणु वंदियउ उवविठ्ठ सुहउ प्राणंदियउ । एंतूण वियडदंतेण निणा विन्नविउ नवेवि नहोगइणा । आयण्णहि निज्जयदेवपुरे एत्थत्थि खगेसरु अब्भपुरे । नामेण पसिद्धउ पवणजउ परमेसरु दरियाराइखउ । तहो रायहंसगइ कामिणिहे नहवल्लहनामहे भामिणिहे । वर वीयसोय नामेण सुया हुय कहु उवमिज्जइ चारुभुया । वरु ताएं ताहे तमोहहरु पुच्छिउ मुणि नामें नाणधरु। १० आएण जेण दुक्कियहरहो सयमेव कवाडइँ जिणहरहो। विहडेसइँ सो दुहियाहे पइ होसइ गउ एम भणेवि जइ । बहुकालें संपइ तं पि दुहा संजायउ दंसणेण सुमुहा । घत्ता-मन्नावेवि कहेवि इउ गउ गयणयरु गयणि तं लेप्पिणु । गंपि निवेइउ सामियो पुरबाहिरि उज्जाणि थवेप्पिणु ॥१२॥ १५ गाहा-सोऊणं आगमणं आएसनरस्स रंजियो राया । पुज्जेवि वियडदाढं सहसत्ति सयं गो तत्थ ।। परमुच्छवेण पुरि पेसियउ परिणाविउ सुय संभूसियउ । कन्नाउ एक्कतीसावरउ दिनाउ देवकन्नावरउ । होऊण सव्वविज्जाहिवइ वरिसाइँ पंच अणुबद्धरइ । वसिऊण तत्थ संभरिवि घरु सविहूइम वल्लिउ पुरिसवरु । दुत्थियविइन्नकंचणपयरे एत्थंतरि अंजणगिरिनयरे । नामेण पहंजणु भूमिवइ नीलजण देवि मरालगइ। पइपयभत्ताण अणोवमए जायाउ अट्ठ धूयाउ तए। अइसयगुणरूवविराइयउ मयणा कणया विउलाइयउ। सो तहिँ पऊरपरिवारसहु उज्जाणं गंपि नियत्तु पहु। मयनिब्भरु नामें नीलगिरि पालाणखंभु भंजेवि करि । कालु व कोवेण करंतु खउ धाविउ जणनियरहो पवणजउ । १२. १ गीयसोय। १० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy