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८. २०. ३ ]
करेइ पसाउ न मामहो जाम सुणेवि इणं सहसत्ति सुरेण नित्र रहु जेत्त अच्छइ सत्तु
घत्ता - हक्किउ हरिसेणें वइरि रणे लुद्ध मुद्ध अन्नायपर ।
वस्तु–भणइ सुरसरिधरणु विहसेवि
कहको सु
कहिँ जाहि अज्जु कालें कलिय वलु वलु आारा रे खयर ।। १८ ।।
१९
एयं सुणेऊण परचित्त सल्लेण
लिएण खल सुहड वाएण भज्जति भणि किर काइँ बहुणा प्रसारेण लइ पहरु कि नियहि जइ प्रत्थि सामत्थु खयरेण कोवग्गिणा पज्जलंतेण
किं मसएँ मत्तरि पत्थरेण किं मेरु जिपइ । दूसह जोइंगणेण किं कयाइ रवितेउ हिप्पs |
द्धवहि सहसत्ति ग्राहवसमत्थेण जे जेहि विज्जामया निहय पडिवक्ख ते ते खणद्वेण गयणद्धि बाणेहिँ बाहिँ बहुभेयधणुवेयविहिजाणु खयरेण मोग्गर मुसंढीउ सत्तीउ सहुँ भिडिमालेहिँ परसेन्नता से हिँ कहिँ सह दुक्खसंदोहजणणीउ
तु नामुवि किताव पुणु तुहुँ वराय प्रवियाण । जा जाहि सरहि मा महु समरि रक्खहि वल्लहपाण ||
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वियामि अस्स उरत्थलु ताम । पडिच्छिय संगरभारधुरेण ।
सुराउहएण समं पहरंतु ।
२०
वस्तु — मुणिवि दुज्जउ वइरि बलवंतु
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१६. १ धीरधीरो हु सारेण ।
धत्ता- तो देवदिन्नदिव्वाउहहिँ जणमणनयणाणंदणेण । सव्वाइँ हयाइँ परपहरणइँ बप्पा एविहे णंदणेण ॥ १९ ॥
भणिय कुमारेण तेलोक्कमल्लेण । सप्पुरिस रंडाण राडी लज्जंति । जाणिज्जए धीरु धीरोहसारेण' ।
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पण्णत्तपहूइयउ चितियाउ तेणासु विज्जउ । आयाउ भणतियउ कहसु काइँ खर्यारद किज्जउ ॥
सेमि तुह अज्जु जमरायपुरपंथ । निसुणेवि एयं विमुक्का सरा तेण । १० ते खंडिया चंडकोयंडहत्थेण । पटुवइ प्रणवर अरि मग्गणा तिक्ख । निट्ठवई चक्केसरो अप्पमाणेहिँ । सक्को न जेउं वियाणेवि भूजाणु । गय वज्जमुट्ठीउ हयसत्तसत्तीउ । १५ पाहिँ सहुँ नायवासेहिँ ।
१५
झस मुसल हल चक्क मुक्काउ असणीउ ।
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