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________________ Appendix 1 293 । 201 704 276 660 898 1182 549 339 374 595 664 556 373 544 617 इअ जम्मि पएसे णम्मआएँ इअ जम्मि पएसे पहुपहाव इअ जम्मि पिउवहा इअ जस्स गिम्हदिवसा इअ जस्स समरदसण° इअ जेण खुडिअवक्खा इअ जेण णहंगण° इअ जेण संभमारंभ इअ जो थुव्वा इअ जंपिऊण सयणा इअ णिव्वत्तिअसेज्जा इअ तइआ खण° इअ तम्मि णरकलेवर इअ तस्स पढममअणा इअ ताहे भावागअ इअ तिणयणरोसाणल इअ तुलिउमहिलसंतेण इअ दरचक्खिअमइरा इअ पलयजलप्फालिअ इअ पलयाणिलकवलिअ° इअ पहुणो धणुपेल्लण' इअ बंदिणंदिअजयं इअ भमइ भवणसिहरेसु इअ मअणूसवविअसंत इअ रअणीभंगुग्गअ° इअरे वि फुरंति गुणा इअ लीलारोसुग्गम इअ वसुहाहिवदंसण इअ विज्झगुहाणिलयाएँ इअ विरसमिमं संसार इअ सअलदिसाअड इअ सुब्वइ एसो इर इअ से जयपेरंतो इअ से दिणेसु महु° 465 इअ से पसत्थपत्थाण 507 इअ सोवि तद्विघडणा' 484 इअ हेमंतसमिद्धासु 166 इच्छापरिअत्तलआ° 113 इच्छामि विमुक्कगुणं 160 इट्टाचुण्ण व किरंत 235 इह अजवोरुवराहा 855 इह अज्जवि किंणु 253 इह अहिमहमंजरिअ 1120 इह अहिराअंति कमा 1069 इह इर तंआ पुर' 832 इह उवसरं वराहाण 347 इह उव्वेल्लइ दरपीअ° 796 इह कअफुक्कारपडतं 1204 इह कडिअविअडसिला 742 इह कहवि समासाइअ° 1011 इह कारहीसु कल्लं. 781 इह कालरूढसीरा 814 इह काला रुग्गतरु° इह कालेण समीकअ° इह केसरिणो विहुणंति 737 इह कोसुमेण चावेण इह गामागअधम्मि इह गोरविरहिणीगंड 787 इह गंभीराअंति व इह चिचिणीण घेत्तूण 1043 इह णिज्जिअकुंदोसीर 207 इह णेअ णिसासु वि 338 इह तस्स चिरं सेवा 1006 इह ताओ खंडिउव्वाअ° 658 इह ताओं पुलोस 1063 इह ता तरुमूल° 439 इह तेअमेहसंवलण 791 इअ ते जति कइणो 605 668 667 561 181 681 552 380 370 83 77 609 583 683 677 671 638 688 626 589 566 371 62 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001364
Book TitleGaudavaho
Original Sutra AuthorVakpatiraj
AuthorNarhari Govind Suru, P L Vaidya, A N Upadhye, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1975
Total Pages638
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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