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छोड़कर नल को ही वरमाला पहनाई। बड़े आनन्द के साथ दोनों का विवाह हो गया।
राज नल में और तो सारे गुण बहुत अच्छे थे, परन्तु जुआ खेलने की बहुत बुरी आदत थी। राजा नल चन्द्रमा थे, तो दुर्गुण उनमें कलंक था। नल का छोटा भाई कूबर बड़ा ही दम्भी और ईर्ष्यालु प्रकृति का व्यक्ति था। एक बार राजा नल ने कूबर के साथ जुआ खेला, राज-पाट सब हार गया। आखिर, शर्त के अनुसार नल को वनवास स्वीकार करना पड़ा।
दमयन्ती ने कहा कि 'मैं भी आपके साथ चलूँगी।' नल ने बहुत समझाया कि 'वन में बड़े कष्ट हैं, इसलिए तुम अपने पिता के यहाँ चली जाओं।' परन्तु दमयन्ती ने कहा-'जब पति पर संकट आया हो, तब स्त्री को उसका साथ देना चाहिए। वह स्त्री ही क्या, जो संकट में पति को छोड़ दे।'
आखिर, दोनों वन में जाकर रहने
लगे।
एक दिन राजा नल दमयन्ती को सोती छोड़कर
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