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दया
जानवर
जो
है बुद्धि
आदमी,
बढ़कर
में
न
हो।
बुद्धि
भी जो
क्या बुद्धि है, धर्म में तत्पर न
हो ।
धर्म
भी क्या धर्म जिसमें नहीं हैं
है, . सत्य कुछ।
सत्य वह किसी काम का,
उपकार जो तिलभर न हो
॥
कर
सके है
उपकार वही
केवल, बस
आदमी।
(
२९
)
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