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जीवन : एक कला ११५ संस्कृति है। इसमें योग कला का बड़ा महत्व है, जिसको कवि ने “जीव उद्धार" कहा है । स्पष्ट भाषा में उसे धर्म-कला कहते हैं
“सव्वा कला धम्मकला जिणेइ ।" । “धर्म कला सबसे ऊँची कला है।" धर्म कला, यही वस्तुः सच्ची जीवन कला है।
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