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________________ लेते ही प्रत्येक जन्तु और पौधे का पहला काम साँस लेना है, और वह उसके जीवन के अन्त तक जारी रहता है। पौधों की लड़ाई भी जानवरों की लड़ाई की तरह ही भयानक होती है। एक या दो महीने तक यदि फुलवाड़ी में कोई काम न किया जाए, तो नागर मोथा आदि बड़े-बड़े जंगल पौधे उगकर कर फलों के दुर्बल पौधों को मार देते हैं। हम प्रायः यह देखते हैं कि बहुत सी लताएँ और बेलें वृक्षों पर चढ़ कर उन्हीं पर अपनी जड़ जमा लेती है, फलतः उनसे खुराक प्राप्त करती है, जिससे वृक्ष कमजोर होकर एक दिन समाप्त हो जाते हैं। जिस तरह जानवरों में नर और मादा होते हैं, उसी प्रकार पौधों में भी नर और मादा होते हैं, जिनसे बच्चों की तरह पौधों का जन्म होता है। जानवर एक खास समय तक काम करने के बाद आराम चाहते हैं : इसी प्रकार पौधे भी साधारणतः दिन में ही काम करते हैं, अर्थात् जमीन से अपनी खुराक.खींचते हैं और उसे खाने के काम में लाते हैं। सूर्यास्त के बाद वे अपना काम बन्द कर देते हैं और जिस तरह जानवर होते हैं, वैसे ही वे भी आराम करते हैं। जानवरों की तरह पौधे भी आपस में खूब स्पर्धा करते हैं, और अन्त में वही जीत कर जड़ जमा लेता है, जो सबसे अधिक मजबूत होता है। यदि आप इन बातों पर अच्दी तरह विचार करेंगे, तो आप पौधों के साथ भी वैसा ही व्यवहार करने लगेंगे, जैसा कि अपने जानवरों या बच्चों के साथ करते हैं। भगवान् महावीर ने वृक्षों के प्रति भी दयालुलता के व्यवहार का उपदेश दिया है और गृहस्थों को भी वनस्पति के उन्मूलन से रोका है। आज के युग में तो वृक्ष एक राष्ट्रीय सम्पत्ति में रुप में माने जा रहे हैं, और उन्हें व्यर्थ ही नष्ट करना, कुचलना राष्ट्र की दृष्टि से भी वर्जनीय है और नैतिक दृष्टि से भी। Don Jain Education International For Private & Personal Use On जनस्पति में जीत (133)ary.org
SR No.001349
Book TitleJainatva ki Zaki
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1998
Total Pages202
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
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