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४. जिस प्रकार भोजन करने से मनुष्य का शरीर बढ़ता है और न मिलने से सूख जाता है, उसी प्रकार वृक्ष भी खाद और पानी आदि की यथोचित खुराक मिलने से बढ़ता है, विकास पाता है और उसके अभाव में सूख जाता है ।
आज का युग, विज्ञान का युग है। आजकल प्रत्येक बात की परीक्षा वैज्ञानिक प्रयोगों की कसौटी पर चढ़ाकर की जाती है । यदि विज्ञान की कसौटी पर बात खरी उतरती है, तो मानी जाती है, अन्यथा नहीं । जैन-धर्म की यह वृक्ष में जीव होने की बात पहले केवल मजाक की वस्तु समझी जाती थी, परन्तु जब से इधर डॉ. जगदीश चन्द्र बसु महोदय ने अपने अद्भुत आविष्कारों द्वारा यह सिद्ध किया है कि वृक्ष में जीव है, तब से पुराने धर्मशास्त्रों की खिल्ली उडाने वाली जनता आश्चर्यचकित रह गई है।
वृक्ष और मानव शरीर
वसु महोदय के आविष्कारों से पता चला है कि हमारी ही तरह वृक्षों में भी जीवन है। भोजन, पानी और हवा की जरुरत उन्हें भी पड़ती है। हमारी ही तरह वे भी जिन्दा रहते हैं और बढ़ते हैं। हाँ, इतना अवश्य है कि उनकी जीवन- प्रक्रिया का तरीका हम से कुछ भिन्न है।
चलती हुई साँस देखकर ही मनुष्य को जीवित कहा जाता है। पेड़ पौधे भी इसी तरह साँस लेते हैं और मजा यह है कि उनका साँस लेने का तरीका हमसे बहुत मिलता-जुलता है। हम सिर्फ फेफड़े से ही सांस नहीं लेते, प्रत्युत हमारे शरीर की त्वचा भी इस काम में हमारी मदद करती है। ठीक इसी तरह पौधे भी अपने सारे शरीर से साँस लें हैं। यह कितनी आश्चर्यजनक बात है कि बीज भी हवा में साँस लेते हैं। ऐसे यन्त्र अब बन गए हैं कि जो ठीक नाप-तोल करके
जगदीश चन्द बसु १८५६-१६४७
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