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६८ . जैन इतिहास की प्रसिद्ध कथाएँ में, एक बाण से दो-पाँच मृग, शशक मार डाले कि बहुत-सा मांस मिल जाता है । मृगया का आनन्द भी, और भोजन के लिए मांस भी ! एक तीर से दो शिकार । भोजन का इससे सस्ता और सुलभ साधन और क्या हो सकता है ? न प्रकृति की अधीनता, न कोई अधिक श्रम ! मनुष्य जब चाहे, तब इसे प्राप्त कर सकता है।"
. मगधपति ने सामन्तों का मौन देखकर अपना प्रश्न पुनः दुहराया। तभी एक सामन्त ने अपने विचारों को स्पष्ट करते हुए कहा--"महाराज ! सबसे सस्ती चीज मांस है, जिसे मनुष्य जब चाहे तब सहज भाव से प्राप्त करके अपना एवं अपने परिवार का गुजारा कर सकता है।"
मृगया के रसिक दूसरे सामन्त ने भी सिर हिलाकर समर्थन किया- "हाँ, महाराज। बिल्कुल ठीक बात है। जंगल में पशु-पक्षियों की क्या कमी है ! धनुष - बाण लिया, और मार लाए दो - चार वन्य पशु या पक्षी । बन गया काम ! न कुछ मेहनत, न कुछ खर्च वर्च।" ___कोई मृगया का रसिक था, तो कोई मांसाहार का कीड़ा। एक-एक करके सभी सामन्त प्रथम सामन्त की बात का समर्थन करते चले गए।
मगधपति ने महामात्य अभय की ओर देखा । अभयकुमार गम्भीर चिन्तन की मुद्रा में, बिचारों की गहराई में डूबे-डूबे, चिबुक पर हाथ रखे बैठे थे। मगधेश के प्रश्न और
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