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समाज और संस्कृति
जीवन नहीं है, तो शास्त्र भी निरर्थक है, यह कला और विज्ञान भी व्यर्थ है । इन सबकी सार्थकता जीवन पर ही निर्भर है ।
मैं आपसे जीवन की चर्चा कर रहा था । जीवन क्या है ? यह एक विकट प्रश्न है, फिर भी समय-समय पर विश्व के बुद्धिमान् विद्वानों ने इसे समझने का और इसकी उलझन को सुलझाने का प्रयत्न किया है । वस्तुतः जीवन की एक परिभाषा नहीं हो सकती । एक योद्धा के लिए, युद्ध ही जीवन है । एक कवि के लिए, काव्य ही जीवन है । एक दार्शनिक के लिए, चिन्तन ही जीवन है । एक वैराग्यशील साधक के लिए जीवन एक निरन्तर प्रवाहित सरिता के समान अस्थिर है । इस प्रकार जीवन की परिभाषा एक न होने पर भी, जीवन का उद्देश्य और जीवन का लक्ष्य एक हो सकता है, इसमें किसी प्रकार के विवाद को अवकाश नहीं है । एक भारतीय दार्शनिक से पूछा गया - 'किं जीवनम् ?' आपके विचार में जीवन क्या है ? हम जीवन किसको कहें ? उत्तर में उन्होंने यही कहा, कि – “दोष - विवर्जितं यत् । " अर्थात् दोष शून्य जीवन को ही वस्तुतः जीवन कहा जाता है । मेरे विचार में जीवन एक जागरण है, सुषुप्ति नहीं । जीवन एक उत्थान है, पतन नहीं । जीवन का उद्देश्य है, वहाँ पहुँचना, जहाँ किसी भी प्रकार का द्वन्द्व और संघर्ष शेष नहीं रहता । जीवन का उद्देश्य है, तमसाच्छन्न एवं अंधकारमय पथ को पार करके, अनन्त, अक्षय, अजर, अमर दिव्य ज्योति का साक्षात्कार करना । इस प्रकार जीवन के सम्बन्ध में विश्व के महान् चिन्तकों ने विभिन्न रूपों में विचार किया है । जीवन के सम्बन्ध में महान् नाटककार शेक्सपियर कहता है— “Out, out brief candle, life's but a walking shadow” क्षणिक प्रकाश देने वाले दीपक बुझो, जीवन तो केवल एक चलती फिरती छाया है । जर्मनी के महान चिन्तक गेटे ने जीवन के सम्बन्ध में कहा है— “A, useless life is an early death. ” अनुपयोगी जीवन शीघ्र ही समाप्त हो जाता है । इसी गेटे ने जीवन के सम्बन्ध में यह भी लिखा है कि—“Life is the childhood of our immortality.” जीवन अमरता का शैशवकाल है । अर्थात् आत्मा की अमरता की अभिव्यक्ति जीवन से ही हो सकती है । पाश्चात्य जगत का महान विचारक शापेन हॉवर कहता है — “Life is nothing, but a short postponement of death.” "जीवन अन्य कुछ नहीं है, केवल कुछ समय के लिए मृत्यु की घड़ियों को टालना ही जीवन है ।" इस प्रकार जीवन के सम्बन्ध में विभिन्न
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