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समाज और संस्कृति
जीवन के विकास की ओर चलने के लिए प्रेरित करता है । इस प्रकार कर्मवाद आत्मा को निराशा के झंझावातों से बचाता है, दुःख एवं क्लेश सहने की शक्ति देता है और संकट के समय में भी बुद्धि को स्थिर रखने का दिव्य संदेश देता है । कर्मवाद में विश्वास रखने वाला व्यक्ति यह विचार करता है, कि जीवन में जो अनुकूलता एवं प्रतिकूलता आती है, उसका उत्पन्न करने वाला मैं स्वयं हूँ। फलतः उसका अनुकूल एवं प्रतिकूल फल भी मुझे ही भोगना है । यह दृष्टि जीवन को शान्त, सम्पन्न एवं आनन्दमय बना देती है ।
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