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नारी-जीवन
जैन परम्परा के इतिहास में काली, महाकाली आदि दस महासतियों ने त्याग और तपस्या का जो महान् आदर्श संसार के सामने रखा है, वह अपने आप में महान् एवं अद्भुत है । राज प्रासादों में और सर्वविध सुविधाओं के साथ रहने वाली महारानियाँ जब त्याग और तपस्या के पथ पर चल पड़ी तो उन्होनें अपने पुरातन भोगवाद की ओर मुड़कर जरा भी नहीं देखा । अपने लक्ष्य की ओर निरन्तर बढ़ती रहीं । न किसी की निन्दा सुनी और न किसी की प्रशंसा । निन्दा उन्हें लक्ष्य से रोक नहीं सकी और प्रशंसा उनके मन में उनकी साधना का अहंकार नहीं जगा सकी । उस आदर्श त्याग और तपस्या के बल पर ही आज हजारों वर्षों के व्यतीत हो जाने पर भी काली, महाकाली का जीवनं भारत की कोटि-कोटि जनता के लिए अनुकरणीय बन सका है । नारी जीवन को त्याग और तपस्या की इतनी बुलन्दी पर ले जाने का श्रेय भगवान् महावीर के शासन में संयम की साधना करने वाली इन महारानियों को ही दिया जा सकता है ।
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