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कोई रोती आँख मिले ना, मिले न मुख की करुण पुकार। हंसता-खिलता हर जीवन हो,
विश्व बने यह सुख आगार ॥
आँखों के खारे पानी से, किसका जग में काम चला? वज्र-हृदय मानव ही देते
हैं संकट की शान गला ॥
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