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मेरा ईश्वर मेरे अन्दर, मैं ही अपना ईश्वर हैं कर्ता, धर्ता, हर्ता अपने जग का, मैं लीलाधर हैं शुद्ध-बुद्ध, निष्काम, निरंजन, कालातीत सनातन एक रूप हूँ सदा-सर्वदा, ना नूतन, न पुरातन हूँ।
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