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गो. कर्मकाण्डे अंकसंदृष्टियु तोरल्पडुगुमन्नेवरमत्थसंदृष्टिय समुच्चय
ळप्पुवु। ३० प प प अ गु२
रचयितु :
-
जप
उप ११
प्रथम|| निषेक
चरम । निषेक
प्रथम | निषेक
चरम || निषेक
पपप गप्रथमगण
पपप२
=पपपअ गुचर-मग
पपपअगु २ aaa२
Baaaग गु३/ ०००००] अवगु गु ३
aaaa२गु गु ३०००००
ग
ग३
रूपोनगुणहानिमात्रचया
पप अगु धिको भवति .aaa - अ ... गु गु ३२
पपप अगु २ a a a
O
गु
गु ३२
समुच्चयरचना।
जप
उप ११
प्रथम निषेक
चरम निषेक
प्रथम निषेक
चरम निषेक
aप प प गु
प्रथम
गुण
2 प प प गु २
= a पपप अगु२ a प प प अ । गचरमग 3.0 अ aaa गु गु३॥
अ aaa २ गु गु ३ २००० अ aaa२ गु
अ
aaa गु गु ३| .
५ करनेपर अन्तिम गुणहानिमें द्रव्यका प्रमाण होता है। उसमें गुणहानि आयामरूप गच्छका भाग देनेपर मध्यमधन होता है। उस मध्यमधनमें एक हीन गच्छके आधेसे हीन दो गुणहानिका भाग देनेपर चयका प्रमाण होता है। उसको एक अधिक गुणहानि आयामसे गुणा
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