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________________ कर्णाटवृत्ति जीवतस्त्वप्रदीपिका १२९७ निषेकं मोल्गोडु तत्प्रथमगुणहानिचरम स्थितिनिषेकपय्यंत मेकैक चय ही नक्रमविदं नडदु चरम - निषेकप्रमाणमेनितक्कुर्मदोडे प्रथमगुणहानि प्रथम निषेकवोल रूपोनगुणहानिमात्रविशेषंगळ निवं कदोर्ड प्रथमगुणहानिचरम स्थितिनिषेकद्रव्यं रूपाधिक गुण हानिमात्र स अ गु अ २ । गुगु३ गु। गु३ चयंगळप्पुवु अ २ । ॥ ग | गु ई प्रथमगुणहा निस्थितिनिषेकरचना विशेष में तु पेळपट्टुदंत शेषगुणहानिगळोळं स्थितिरचनाक्रममक्कुमल्लि विशेषमुंटदाउदे दोडे तंतम्म गुणहानिद्रव्यमुं तत्तत्प्रचयमुमरिल्पडुवुवु । शेष विधानमेक प्रकार मेयष कुमंतागुत्तं विरलु अघस्तनाधस्तनगुणहानिप्रथम निषेगळं नोडलुपरितनोपरितनगुणहानिप्रथमनिषेकंगळ चयहीन संकलन क्रमविंदमर्द्धार्द्धक्रमदिनिवु । तत्तद्गुणहानिचयंगळ मर्द्धार्द्धक्रमदिनिष्पुंवु । अवक्कंक संदृष्टि हारेण गु ३ अपहृतं प्रचयः स अ स च दोगुणहान्या गुणित आदिनिषेकः स अ गु २ उपर्येकैकचयहीनो अ २ गुगु ३ २ - O अ २ गु गु ३ २ २ भूत्वा चरमो रूपाधिकगुणहानिमात्रच्यो भवति स । अगु एवं शैषगुणहानिष्वपि कृते तदकार्थसंदृष्टी -- १० अ २ गुगु ३ २ Jain Education International प्रथम गुणहानिके द्रव्यको गुणहानि आयामसे भाग देनेपर मध्यमधन होता है । जैसे प्रथम गुणहानिके द्रव्य बत्तीस सौको गुणहानि आयाम आठका भाग देनेपर मध्यधन चार होता है। चौथा और पाँचवाँ निषेकके प्रमाणको जोड़कर आधा करनेपर भी मध्यधन होता है । एक हीन गुणहानि आयामके आधेसे हीन निषेक भागहारसे मध्यधनमें भाग देनेपर चयका प्रमाण होता है । जैसे एक हीन गुणहानि सातका आधा साढ़े तीनको निषेक १५ भागहार सोलह में घटानेपर साढ़े बारह रहे । उसका भाग मध्यधन चार सौमें देनेपर चयका प्रमाण बत्तीस आता है । इस चयको दो गुणहानिसे गुणा करनेपर प्रथम निषेक होता है । जैसे चय प्रमाण बत्तीसको दो गुणहानि सोलह से गुणा करनेपर पाँच सौ बारह प्रथम निषेकका प्रमाण होता है । इसमें एक-एक चय घटानेपर अन्तिम निषेक एक अधिक गुणहानि प्रमाण चयरूप होता है । जैसे गुणहानि आठमें एक अधिक करनेपर नौ हुए। नौसे चयके २० For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001326
Book TitleGommatasara Karma kanad Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages828
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Karma
File Size18 MB
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