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________________ १२९० गो कर्मकाण्डे एंदितु सिद्धमयकुमप्पुरिदमो पल्यवरगंशलाकाराशिभक्तपल्यमुं मिथ्यात्वकर्मस्थितिनिषेकरचनाविषयदोळन्योन्याभ्यस्तराशियेंदु पेळल्पद्रुवीयन्योन्याम्यस्तराशियोळेकरूपं कुंदिसि मिथ्यात्वकर्मसमयप्रबद्रव्यमं भागिसिदोडे चरमगुणहानि संबंधिद्रव्यमक्कु स ।।१ . * १ख ।११। म द्वितीयादिगळधस्तनाघस्तनगुणहानिगळ द्रव्यंगळु प्रथमगुणहानिद्रव्यपथ्यंतं द्विगुणद्विगुणकमंगळप्पुवु। ५ संदृष्टि :- | स ।।१ . चरम । ई गुणहानि द्रव्यंगळनंतषणं गुणगुणियं आविवि अ ख।११। स ।२ सख । ११ सa । ख।११।२।२। अ स । अ.० ११ ख । ११ । अ।२ प्रथम होणं रूऊणुत्तरभजियमें दितु संकलिसिदोर्ड मूलद्रव्यप्रमाणमेयककुम बुदयमिल्लि प्रथमगुणहानि. शलाकार्धच्छेदोनपल्यार्धच्छेदमात्रनानागणहानिमात्रद्विकसंवर्गोत्पन्नेनान्योन्याभ्यस्तेन पल्यवर्गशलाकाभक्तपल्यमात्रेण रूपोनेन भक्तं चरमगुणहानिः स ... तदघोषः प्रतिगणहानि द्विगुणं द्विगुणं संदृष्टिः१ख ११ ब । चरम स १ ख ११ १ स०२ १ख ११ अ सअ १ख ११।२।२ । अ प्रथम सम अंक रखकर परस्परमें गुणा करनेपर अन्योन्याभ्यस्त राशि होती है। उसका प्रमाण पल्यकी १० वर्गशलाकासे भक्त पल्य है। अन्योन्याभ्यस्त राशिमें-से एक घंटाकर उसका भाग सर्वद्रव्यमें देनेपर जो प्रमाण हो वही अन्तिम गुणहानिका द्रव्य होता है। उससे आदिकी गुणहानि पर्यन्त १. म कममप्पुवु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001326
Book TitleGommatasara Karma kanad Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages828
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Karma
File Size18 MB
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