SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 629
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका १२५७ अर्थसंदृष्टियोळधःप्रवृत्तकरणपरिणाम रचनाविशेषं तोरल्पडुगुमवें तेंदोडे सर्वद्रव्यमिछु । * इदं पदकदिसंखेण भाजिदे पचय दिदु प्रचयमक्कुं aat व्येकप. २१११२११३ दार्द्धघ्नचयगुणोगच्छ उत्तरधनमेंदितिदु चयधनमक्कु। =०२ १११।- १।२१११ मिदनप २१११।२१११।१।२ वत्तिसिदोडे =३ २ १ ११-१ ई उत्तरधनमं चयधणहीणं दव्वं कळेबुळिव शेषमिदु २११२ *२१११११।२ २१११।१।२ इदं पदभजिदे होदि आदि परिमाण में विदु प्रथमसमयादि घनमक्कुं = २१११।१।२ २ १११।१।२१११।२ यिदरोळोदु चयम ३१ नि कूडि१११।२११११ धन ""३ - - ०२११११।२ प्रतिसमय प्रथमघनदोळ २११।०२।२१११ बोडे द्वितीयसमयधनमिनितक्कुं अर्थसंदृष्टी तु सर्वद्रव्यमिदं = ० । पदकदिसंखेण भाजिदे पचयं . ० । १ २१११।२११११ व्येकपदार्धनचयगुणो गच्छ उत्तरधनं =|२१११-१ । २१११ अपवर्तित २११।२१ । ।२ पदभजिदे होदि आदिपरिमाणं २११३-१ अनेन होणं दव्वं- २१११।१२ =३।२ ११।२ २ १ १ १ । ।२ निक्षिप्त द्वितीयसमयधनं = २११।। २ २१११।२१११।१।२ अत्रैकचये = १ २१११।२१११।१ इस प्रकार अंकोंके द्वारा दृष्टान्त रूप कथन किया है। इसी प्रकार अर्थसंदष्टि रूपमें जानना। जो इस प्रकार है-अधःप्रवृत्तकरणके सब परिणाम असंख्यात लोक प्रमाण है। यह सर्वधन जानना। अधःप्रवृत्तकरणका काल अन्तमुहूते है उसके समयोंका प्रमाण गच्छ जानना। गच्छके वर्गको संख्यातसे गुणा करके उसका भाग सर्वधनमें देनेपर जो प्रमाण आवे उसे ऊर्ध्वचय जानना । एक कम गच्छके आधेको चयसे गुणा करके फिर गच्छसे गुणा करनेपर चयधन आता है। उसको सर्वधनमें घटानेपर जो शेष रहे उसमें गच्छका भाग देनेपर जो प्रमाण आये वह प्रथम समयसम्बन्धी परिणामोंका प्रमाण है। उसमें एक चब Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001326
Book TitleGommatasara Karma kanad Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages828
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Karma
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy