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________________ ११८० गो० कर्मकाण्डे | क्षा | मि | औ | पा | इल्लि प्रत्येकगुणकारं पुनरुक्तमकुं । क्षे १। द्वि गु १। शेषद्विसंयोग| १ | १३| ६ | भ| गुणकारंगळु पुनरुक्तंगळु । द्वि क्षे ३ । त्रि गु ३ । शेषगुणकार भंगंगळु पुनरुक्तंगळ । त्रि क्ष२। च गु २। कूडि क्षायिकदेशसंयतंगे गुण्यंगळु ३६ । गु ६ । क्षे ६ । लब्ध भंगंगळु २२२ । उभयभंगंगळ देशसंयतंगे १०९७। प्रमत्तसंयतंगे | उ | क्षा | मि | औ । पा| यिलिल प्र गु१। | १ | १ | १४ | ६ | भ । ५ क्षे ७ । द्वि गु ७ । क्षे १४ । त्रि गु १४ । क्षे ८। च गु ८। कूडि गुण्यभंगंगळु ३६ । गु ३० । देशसंयते | उ | मि | औ ।पाअत्र प्रगु १ क्ष४। द्विगु ४ क्षे५। त्रिग ५ क्षे२। | १ | १३ | ६ | भ चगु २ मिलित्वा गुण्यं ७२ गु १२ क्षे ११ भंगाः ८७५ । क्षायिकसम्यक्त्वे- क्षा | मि । ओ। । अत्र प्रत्येक गुणेकारः पुनरुक्तः । क्षे १ । द्विगु १ शेषद्विसंयोगगुणकाराः पुनरुक्ताः । द्वि क्षे ३ । त्रिगु ३ शेषगुणकाराः पुनरुक्ताः । त्रि क्षे २। चगु २ मिलित्वा १० गुग्यं ३६ गु ६ क्षे ६ भंगाः २२२ । उभयभंगाः १०९७ । देश संयतमें औपशमिक भावका उपशम सम्यक्त्व रूप एक, मिश्रके तेरह और ग्यारहके दो, औदायिकका छहका एक तथा पारिणामिकका भव्यत्वरूप एक, ऐसे पाँच स्थान हैं । उनमें प्रत्येक भंगमें गुणकार एक क्षेप चार, दो संयोगीमें गुणकार चार, क्षेप पाँच, तीन संयोगीमें गुणकार पाँच क्षेप दो, चार संयोगीमें गुणकार दो। सब मिलकर गुणकार बारह १५ और क्षेप ग्यारह हुए। पूर्वोक्त गुण्य बहत्तरको बारहसे गुणा करके ग्यारह जोड़नेपर सब भंग आठ सौ पचहत्तर होते हैं। क्षायिक सम्यक्त्वमें उपशमके स्थानमें क्षायिक सम्यक्त्व रूप क्षायिकका स्थान कहना । शेष पूर्ववत् है। वहां प्रत्येक भंगमें क्षेप एक, दो संयोगीमें गुणकार एक क्षेप तीन, तीन संयोगीमें गुणकार तीन क्षेप दो, चार संयोगीमें गुणकार दो। शेष गुणकार और क्षेप पुनरुक्त हैं। सब मिलकर गुणकार छह और क्षेप छह हुए। पूर्वोक्त गुण्य छत्तीससे गुणा करनेपर सब भंग दो सौ बाईस होते हैं। दोनोंको मिलाकर देशसंयतमें सब भंग एकहजार सत्तानबे होते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001326
Book TitleGommatasara Karma kanad Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages828
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Karma
File Size18 MB
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