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कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका
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यतीय राशिगळं कूडुत्तं विरल मिध्यावृष्टिय सर्व्वाल्पतर बंधभंगंगळवु । ४४६०९४३५ । उभययोगं मिध्यादृष्टिय सर्व्वावस्थितबंधभंगप्रमाणमवकुं । ८९२१८८७० ॥
अनंत मंतु साधितंगळप्प मिथ्यादृष्टिय भुजाकाराल्पतरभंगसमासमं पेळदपरु :भुजगारपदराणं भंगसमासो समो हु मिच्छस्स ।
पणतीसं चउणवदी सट्ठी चोदालमंककमे || ५७१ ॥
भुजाकाराल्पतराणां भंगसमासः समोहमिथ्यादृष्टेः । पंचत्रिशच्चतुन्नवतिः षष्टिश्चश्चत्वारिशवंकक्रमे ॥
मिथ्यादृष्टिय सव्वंभुजाकाराल्पतरंगळ भंगयुतिसदृशमवकुं स्फुटमांगि। एनितु प्रमाणंगळे - बोर्ड अंकक्रमबोळ पंचत्रिंशच्चतुन्नवतियं षष्टियुं चतुश्चत्वारिंशत्प्रमितंगळप्पुवु । ४४६०९४३५ ॥ अनंतरमसंयतन भुजाकाराविगळं पेव्वपरा :
कस्य २९।४२९१०७२० । मिलित्वा मिथ्यादृष्टेः सर्वभूजाकारभंगा भवन्ति ४४६०९४३५ । तदल्पतरभंगास्तु उपरितः त्रिशत्कादिभंगरघस्तनाघस्तनां कसंयोगैर्गुणिते सति भवन्ति । संदृष्टिः
लब्धं
गुष्यं गुणकार:
९३७०
१२२
११३
८१
११
४६४० ३०
९२४८ २९
९
२८
३२
२६
२५ ।
७०
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४३४७६८००
११२८२५६
१०१७
२५९२
७७०
अमो पंच राशयो मिलिताः ४४६०९४३५ उभययोगः मिथ्यादृष्टेः सर्वावस्थितबन्धभंगाः ८९२१८८७० ॥५७० ॥
मिथ्यादृष्टेरुक्तो भुजाकारभंग समासो ऽल्पतरभंग समासश्च खलु सदृशः । तहि किसंख्यः ? अंकक्रमेण पंचत्रिचतुर्नवतिषष्टिचतुश्चत्वारिंशन्मात्रः ४४६०९४३५ ।। ५७१ ।। असंयतस्य तानाह
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भुजाकार भंग ४४६०९४३५ होते हैं। उसके अल्पतर भंग लानेके लिये ऊपर के तीस आदि स्थानोंके भंगों से नीचे के सब भंगको जोड़-गुणा करनेपर अल्पतर होते हैं। यह कथन ऊपर कर आये हैं । उसकी संदृष्टि ऊपर संस्कृत टीकासे जानना । उसका जोड़ भी ४४६०९४३५ होता है । भुजाकार और अल्पतर दोनोंको जोड़नेपर मिध्यादृष्टिके अवस्थित भंग २० ८९२१८८७० होते हैं ।। ५७० ।।
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मिथ्यादृष्टिके कहे मुजाकार और अल्पतर भंगोकी संख्या समान है उसकी संख्या अंकोके क्रमसे पैतीस चौरानवे साठ चवालीस है । इन्हें क्रमसे लिखने पर चार करोड़ छियालीस लाख नौ हजार चार सौ पैतीस ४४६०९४३५ होती है । इतने भुजाकार है और इतने ही अल्पतर हैं । इन दोनोंको मिलानेपर आठ करोड़ बानवे लाख अठारह हजार २५ आठ सौ सत्तर ८९२१८८७० होते हैं इतने ही अवस्थित भंग हैं; क्योंकि मुजाकार या अल्पतर भंगो में जिस जिस प्रकृति भंगका बन्ध होता है उस ही का बन्ध द्वितीयादि समय में होनेपर अवस्थित बन्ध होता है ।।५७१ ॥ आगे असंयत में कहते हैं
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