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गो० कर्मकाण्डे
सल्पद्रुदादोडे चयधनमक्कुं गु
। गु उभयधनमं कूडिदोडिदु प्रथमगुणहानिद्रव्यमवतु ।
= 3 गु गु ३ द्वितीयादिगुणहानिद्रव्यंगळु द्विगुणद्विगुणंगळागुत्तं पोगि चरमगुणहानियोळु रूपोन
गु।२ नानागुणहानिशलाकाप्रमितद्विकंगळु गुणकारंगळेप्पुववनन्योन्याभ्यास माडिदोडे अन्योन्याम्यस्तराश्यद्धं गुणकारमक्कु 3 गु गु ३५० मिदंतधनमप्पुरिंदमन्तधणं गुणगुणियमेदु द्विगुणक्रम
५ मप्पुरिदं गुणकारमेरडु रूपुगळवारदं गुणिसिदोडेडिदु = a गु गु ३ ५२ अपत्तितमिदु
ग
२ ०२
गु - a गु तयोर्योगः प्रथमगुणहानिद्रव्यं = • गु । गु ३ इदं प्रतिगुणहानिद्विगुणं द्विगुणं भूत्वा चरम
२
१
ग
१
गुणहानौ रूपोननानागुणहानिमात्रद्विकगुणमिति अन्योन्याभ्यस्ताघगुणं स्यात् = 2 गु । गु ३ प. इदं 'अंतधणं
०२
गु २ पर्यन्त जानना। सो व्येकपदार्धघ्नचयगुणो गच्छ उत्तरधन' एक हीनगच्छके आधेको चयसे
गुणा करें। फिर गच्छसे गुणा करें। जो प्रमाण हो उतना सर्व चयधन होता है। यहाँ १० गच्छ आठ में से एक घटानेपर सात रहे। उसका आधा साढ़े तीन । उसे चयके प्रमाण
एकसे गुणा करनेपर साढ़े तीन ही रहे। उसे गच्छके प्रमाण आठसे गुणा करनेपर अठाईस हुए। यह चयधन जानना। आदिधन और उत्तरधन मिलानेपर प्रथम गुणहानिका सर्वद्रव्य होता है । सो आदिधन बहत्तर और उत्तरधन २८ को मिलानेपर १०० हुए। यही
प्रथम गुणहानिका सर्वद्रव्य जानना। आगे प्रत्येक गुणहानिका द्रव्य दूना-दूना होता है१५ १००, २००, ४००, ८००, १६०० । इस तरह एक कम नानागुणहानि प्रमाण वार दूना-दूना
होता है। सो अन्योन्याभ्यस्त राशिके आधेसे प्रथमको गुणा करनेपर जो प्रमाण हो सो अन्तका प्रमाण जानना । यहाँ नानागुणहानि पाँच में-से एक घटानेपर चार रहे। सो चार जगह दोके अंक रखकर परस्परमें गुणा करनेपर सोलह हुए । इतना ही अन्योन्याभ्यस्त राशि
बत्तीसका आधा प्रमाण है। सोलहसे प्रथम स्थान सौको गुणा करनेपर सोलह सौ हुए। २० इतना ही अन्तिम गुणहानिका द्रव्य जानना । इन सबको जोडिए- १. म°लवनन्यो ।
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