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________________ यथावश्यक होता रहेगा। भले ही प्रारंभ में कितना ही विरोध हो, शोर-शराबा हो, निन्दा हो, अपयश हो । जो भी होने जैसा है, वह देर-सबेर होकर ही रहता है । मेरे पास पुराने और नये परिवर्तनों की एक अच्छी खासी लंबी सूची है, किन्तु उसके प्रकाशन का अभी प्रस्तुत में प्रसंग नहीं है । यदि ईमानदारी से सोचेंगे और विचारेंगे, तो प्रबुद्ध पाठकों को, धर्म-संघ में हुए नए-पुराने अनेक परिवर्तन , स्वत: ही परिलक्षित हो जाएँगे । परिवर्तनों की इसी चिन्तन धारा में मैंने साध्वियों के वर्तमान पद-विहार की चर्चा की थी | आज क्या स्थिति है समाज की । नारी-जाति पर अत्याचारों की एक भयंकर शृंखला ही बन गई है | आए दिन उस पर अन्य अत्याचार जो होते हैं, वे तो होते ही हैं । उसके पवित्र शील के भंग की दुर्घटनाएँ भी कम घटित नहीं हो रही हैं । बलात्कार की मर्माहत करने वाली कितनी अभद्र घटनाएँ घटित हो रही हैं, इन दिनों । काँप जाता है अन्तर्मन । यदि कोई सच्चे अर्थ में मानव है और उसके पास सही अर्थ में मानव का हृदय है, तो वह कम्पित हुए बिना नहीं रहेगा | यदि वे और कोई हैं, तो उनको दूर का धक्का दो, मैं उनकी बात नहीं करता | छोटी-छोटी बच्चियों से लेकर प्रौढ महिलाएँ तक इस राक्षसी अत्याचार की शिकार हैं । नारी का शरीर ही ऐसा है कि वह इन कामान्ध दुर्नाम दानवों से बच नहीं सकता । अब तो बलात्कार ने सामूहिक बलात्कार का भीषण रूप भी ले लिया है । पिस्तौल तथा छुरे की नोक पर नारी का अपहरण किया जाता है । दो-चार ही नहीं, पाँच-पाँच, दस-दस राक्षस उस अबला के शरीर को नोंच डालते हैं, शील भंग करते हैं | नारी पीड़ा से छटपटाती रहती है, चीखती रहती है, बेहोश हो जाती है, फिर भी ये तन के मानव और मन के दानव उसका पीछा नहीं छोड़ते । दैनिक आज की खबर है, अभी रक्सौल ( बिहार) में एक नव-विवाहिता ब्राह्मण पुत्री का दुष्टों ने प्राण-घातक छुरे के बल पर अपहरण किया और सारी रात बारी-बारी से चौदह व्यक्ति दुराचार में लगे रहे | आज वह बेहोशी की दशा में अस्पताल में है और जीवन-मरण के बीच झूल रही है । अखबारी रिपोर्ट है डाक्टरों की, वह खतरे से बाहर नहीं है। यह एक क्या, अनेक घटनाएँ इसी तरह की हैं, अन्त में पीड़ा से मर जाने की और बलात्कारियों द्वारा मार देने की भी । राज्य सरकारों से लेकर केन्द्रीय सरकार तक, विधान सभाओं से लेकर संसद तक चिन्तित है इस दुःस्थिति पर, फिर भी कुछ हो नहीं पा रहा है । (२५८) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001306
Book TitleChintan ke Zarokhese Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherTansukhrai Daga Veerayatan
Publication Year1988
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size13 MB
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