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तिलोय पण्णत्ती
वएकपंच एकं छत्तियएक्का तहेव चउभंसा । दोविजयदुवक्खारे अंतिला दिल्लदीहतं ॥ २९०६
१३६१५१९ | ४
२१२
चउछक्क पंचणभछत्तियएक्कंसा सयं च छण्णवदी । मज्झिलं वक्खारे सुहावहक्खे तिकूडणगे ॥ २९०७ १३६०५६४ । १९६ (?)
२१२
णवणभछण्णवपणतिय एक्का भंसा हुवेदि चालीसं । दोवक्खारदुविजए अंतिला दिल्लदीहत्तं ॥ २९०८
१३५९६०९ । ४०
(?) २१२
इगिछक्कएकणभपणतियएकंसा सयं च छण्णउदी। सरिदाए' वप्पविजए पत्तेक्कं मज्झदीहत्तं ॥ २९०९
(?)
१३५०१६१ । १९६ २१२
नौ, एक, पांच, एक, छह, तीन और एक, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और चार भाग अधिक दोनों क्षेत्रों तथा सुखावह व त्रिकूट नामक दो वक्षारपर्वतोंकी क्रमशः अन्तिम और आदिम लंबाईका प्रमाण है || २९०६ ॥
१३७०९६७३१२ - ९४४८५१रे = १३६१५१९२ १ २ ।
चार, छह, पांच, शून्य छह, तीन और एक, इन अंकों के क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और एकसौ ब्यानबै भाग अधिक सुखावह व त्रिकूटनग नामक वक्षारपर्वतकी मध्यम लंबाई है || २९०७ ॥ १३६०५६४३ (?)
१ द ब सलिलाए.
१३६१५१९२१२
९५४१२
१३६०५६४५१३ ।
२१२
सूचना – यहां प्रक्रिया से ९६ अंश आते हैं किन्तु मूलमें शब्दों और अंकों दोनों में १९६ संख्या पाई जाती है । आगे की गाथा नं. २९०८ में भी क्रमप्राप्त प्रक्रियासे ८८ अंश आते हैं, किन्तु वहां मूलमें ४० अंश पाये जाते हैं जो न तो पूर्ववर्ती ९६ अंशोंको लेकर घटाने से आते और न १९६ मेंसे । इसी प्रकार आगे के अंक भी प्रक्रियानुसार सिद्ध नहीं होते ।
नौ, शून्य, छह, नौ, पांच, तीन और एक, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और चालीस भाग अधिक दोनों वक्षारों तथा सरिता व वना नामक दो देशोंकी क्रमशः अन्तिम और आदिम लंबाईका प्रमाण है || २९०८ ॥ १३५९६०९१२ (१
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[ ४. २९०६
=
१३६०५६४२१२ - ९५४३३२
१३५९६०९३÷३ ।
एक, छह, एक, शून्य, पांच, तीन और एक, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उने योजन और एकसौ छयानबै भाग अधिक सरिता व वप्रा देशोंमेंसे प्रत्येककी मध्यम लंबाई है ॥ २९०९ ॥ १३५०१६१३ ( ? )
१३५९६०९३१३ – ९४४८२२ = १३ '५०१६१
=
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