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________________ -४.२६९७] चउत्थो महाधियारो [४८७ . छप्पणइगिछत्तियदुगअंककमे जोयणाणि मज्झिमए । दीहत्तं तत्तजले ओसहवाहीएं पत्तेकं॥ २६९३ २३६१५६ । छत्तियणभछत्तियदुग भागा सट्ठीहिं अधियसय दीहं । दो वेभंगणदीणं अंतं आदी हु दोसु विजएसुं ॥ २६९४ २३६०३६ । १६० २१२ दोपणचउइगितियदुग भागा सट्ठीह अधियसयमेत्तं । मज्झिमपएसदीहं कुमुदाए सुवच्छविजयम्मि ॥ २६९५ २३१४५२ । १६० २१२ अट्ठछअट्टयछद्दोदो चिय सट्ठीहिं अधियसयभागं । विजयाणं वक्खारे अंतिल्लादिल्लदीहत्तं ॥ २१९६ २२६८६८ । १६० २१२। इगिणवतियछहदुर्ग एक्कसयं होति तह य अंसा य । सुहवहतिकूटपब्वदमाझिल्लं होदि दीहत्तं ॥ २६९७५ २२६३९१ । १०० छह, पांच, एक, छह, तीन और दो, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजनमात्र तप्तजला व औषधवाहिनी से प्रत्येककी मध्यम लंबाई है ॥ २६९३ ।। २३६२७५.५२ - ११९,५२३ = २३६१५६ । छह, तीन, शून्य, छह, तीन और दो, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और एकसौ साठ भाग अधिक दोनों विभंगनदियोंकी अन्तिम तथा कुमुदा व सुवत्सा नामक दो देशोंकी आदिम लंबाईका प्रमाण है ।। २६९४ ॥ २३६१५६ - ११९,५२३ = २३६०३६३६ः। दो, पांच, चार, एक, तीन और दो, इन अंकोंसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और एकसौ साठ भाग अधिक कुमुदा व सुवत्सा देशकी मध्यम लंबाई है ॥ २६९५ ।। २३६०३६३६० - ४५८४ = २३१४५२३६६। आठ, छह, आठ, छह, दो और दो, इन अंकोंसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और एकसौ साठ भाग अधिक दोनों देशोंकी अन्तिम तथा सुखावह व त्रिकूट नामक दो वक्षारपर्वतोंकी आदिम लंबाई है ।। २६९६ ।। २३१४५२१६० - ४५८४ = २२६८६८१६।। एक, नौ, तीन, छह, दो और दो, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और एकसौ भाग अधिक सुखावह व त्रिकूट पर्वतकी मध्यम लंबाईका प्रमाण है ॥ २६९७ ॥ २२६८६८३६३ - ४७७६६३ =-२२६३९१३९३ । १द बणंतरवाहीए. २ अत्र उपरिलिखिता दश गाथा ब-प्रतौ पुनरपि लिखिता । ३ एषा गाथा द-ब प्रत्यो स्ति, सोलापुर-प्रतितोऽत्र लिखिता. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001274
Book TitleTiloy Pannati Part 1
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages598
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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