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-४.२६९७]
चउत्थो महाधियारो
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. छप्पणइगिछत्तियदुगअंककमे जोयणाणि मज्झिमए । दीहत्तं तत्तजले ओसहवाहीएं पत्तेकं॥ २६९३
२३६१५६ । छत्तियणभछत्तियदुग भागा सट्ठीहिं अधियसय दीहं । दो वेभंगणदीणं अंतं आदी हु दोसु विजएसुं ॥ २६९४
२३६०३६ । १६०
२१२ दोपणचउइगितियदुग भागा सट्ठीह अधियसयमेत्तं । मज्झिमपएसदीहं कुमुदाए सुवच्छविजयम्मि ॥ २६९५
२३१४५२ । १६०
२१२ अट्ठछअट्टयछद्दोदो चिय सट्ठीहिं अधियसयभागं । विजयाणं वक्खारे अंतिल्लादिल्लदीहत्तं ॥ २१९६
२२६८६८ । १६०
२१२। इगिणवतियछहदुर्ग एक्कसयं होति तह य अंसा य । सुहवहतिकूटपब्वदमाझिल्लं होदि दीहत्तं ॥ २६९७५
२२६३९१ । १००
छह, पांच, एक, छह, तीन और दो, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजनमात्र तप्तजला व औषधवाहिनी से प्रत्येककी मध्यम लंबाई है ॥ २६९३ ।।
२३६२७५.५२ - ११९,५२३ = २३६१५६ ।
छह, तीन, शून्य, छह, तीन और दो, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और एकसौ साठ भाग अधिक दोनों विभंगनदियोंकी अन्तिम तथा कुमुदा व सुवत्सा नामक दो देशोंकी आदिम लंबाईका प्रमाण है ।। २६९४ ॥
२३६१५६ - ११९,५२३ = २३६०३६३६ः।
दो, पांच, चार, एक, तीन और दो, इन अंकोंसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और एकसौ साठ भाग अधिक कुमुदा व सुवत्सा देशकी मध्यम लंबाई है ॥ २६९५ ।।
२३६०३६३६० - ४५८४ = २३१४५२३६६।
आठ, छह, आठ, छह, दो और दो, इन अंकोंसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और एकसौ साठ भाग अधिक दोनों देशोंकी अन्तिम तथा सुखावह व त्रिकूट नामक दो वक्षारपर्वतोंकी आदिम लंबाई है ।। २६९६ ।। २३१४५२१६० - ४५८४ = २२६८६८१६।।
एक, नौ, तीन, छह, दो और दो, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और एकसौ भाग अधिक सुखावह व त्रिकूट पर्वतकी मध्यम लंबाईका प्रमाण है ॥ २६९७ ॥
२२६८६८३६३ - ४७७६६३ =-२२६३९१३९३ ।
१द बणंतरवाहीए. २ अत्र उपरिलिखिता दश गाथा ब-प्रतौ पुनरपि लिखिता । ३ एषा गाथा द-ब प्रत्यो स्ति, सोलापुर-प्रतितोऽत्र लिखिता.
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