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________________ -१. २६४५] चउत्थो महाधियारो [४७७ पणचउसगट्ठतियपणजोयणया होंति सहि भागा य । णलिणादिकूडणागग्गिरीण मन्सु दीहत्तं ॥ २६४. ५३८७४५। ६० दुगदुगदुगणवतियपण भागा वीसुत्तरं च इक्कसयं । दोवक्खाराणंतिमदीहं विजयाण आदिल्लं' ॥ २६४२ ५३९२२२ । १२० २१२ छक्कणभअट्टतियचउपण अंसा पुग्वभासिदा णेया। कच्छकवदिगंधासु विजयेसु मज्झिमायामं ॥ २६४३ ५४३८०६ । १२० २१२ णभणवतियअडचउपणे पुवुत्तंसाणि दोसु विजएसं । गहवदिए फेणमालिणि अंतिमआदिल्लदीहत्तं ॥२६४४ ५४८३९० । १२० णवणभपणअडचउपण भागा बावत्तरीसदं दीहं । मज्झिलं गहवदिए तह चेव य फेणमालिणिए ॥२६४५ ५४८५०९ । १७२ २१२ पांच, चार, सात, आठ, तीन और पांच, इन अंकोंसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और साठ भागप्रमाण नलिनकूट और नागपर्वतकी मध्यम लंबाई है ॥ २६४१ ॥ ___ ५३८२६८ + ४७७३६५ = ५३८७४५३३३ । दो, दो, दो, नौ, तीन और पांच, इन अंकोंसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और एकसौ बीस भागप्रमाण उक्त दोनों वक्षारपर्वतोंकी अन्तिम तथा कच्छकावती और गन्धा देशोंकी आदिम लंबाई है ॥ २६४२ ॥ ५३८७४५ + ४७७६६१ =५३९२२२३३३ । छह, शून्य, आठ, तीन, चार और पांच, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या निर्मित हो उतने योजन और पूर्वमें कहे हुए एकसौ बीस भाग अधिक कच्छकावती और गन्धा देशकी मध्यम लंबाई है ॥ २६४३ ॥ ५३९२२२३३३ + ४५८४ = ५४३८०६३३३ । शून्य, नौ, तीन, आठ, चार और पांच, इन अंकोंसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और पूर्वोक्त एकसौ बीस भाग अधिक उक्त दोनों देशोंकी अन्तिम तथा ग्रहवती और फेनमालिनी नामक विभंगनदियोंकी आदिम लंबाई है ।। २६४४ ॥ ५४३८०६ + ४५८४ = ५४८३९०३३३ । नौ, शून्य, पांच, आठ, चार और पांच, इन अंकोंसे जो संख्या निर्मित हो उतने योजन और एकसौ बहत्तर भाग अधिक ग्रहवती और फेनमालिनी नदियोंकी मध्यम लंबाई है ॥२६४५॥ ५४८३९०३३३ + ११९३९३ = ५४८५०९३१३ । १ द ब आदिस्स. २द बतियअट्ठच उपण. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001274
Book TitleTiloy Pannati Part 1
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages598
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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