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________________ -१. २६३५] चउत्थो महाधियारो [१७५ चउपणइगिचउइगिपण जोयण भागा तहेव दोषिण सया । कच्छाए गंधमालिणिखेत्तस्स य मज्झिमं दीहं॥२६३१ ५१४१५४ । २०० २१२ अडतियसगढइगिपण भागा सय दोणि विजयचरिमं च । दोण्हं गिरीण आदी दीहत्तं ताण णिहिटं ॥ २६३२ ५१८७३८ । २०० २१२ छक्केकदुणवइगिपण भागा अडदाल मज्झदीहत्तं । चित्तसुरादियकूडमालंताणं गिरीणं च ॥ २६३३ ५१९२१६ । ४८ २१२ तियणवछक्कं णवइगिपण अंसा अडअहियएक्कसयं । दोण्हं गिरीण अंतिमदीहत्तं विजयआदीए ॥ २६३४ ५१९६९३ । १०८ २१२ सगसत्तदुचउदुगपण अंसा ता एवं मज्झिमं दीहं । दोहं सुकच्छगंधिलविजयाणं ताण होदि त्ति ॥ २६३५ ५२४२७७ । १०८ २१२ चार, पांच, एक, चार, एक और पांच, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और दोसौ भाग अधिक कच्छा और गन्धमालिनी देशकी मध्यम लंबाईका प्रमाण है ॥ २६३१ ॥ ५०९५७०३९३ + ४५८४ = ५१४१५४३१३ । ___ आठ, तीन, सात, आठ, एक और पांच, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और दोसौ भाग अधिक कच्छाविजयकी अन्तिम तथा उन दोनों पर्वतोंकी आदिम लंबाई कही गई है ॥ २६३२ ॥ ५१४१५४३९३ + ४५८४ = ५१८७३८३९३ । ___ छह, एक, दो, नौ, एक और पांच, इन अंकोंके क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और अड़तालीस भाग अधिक चित्रकूट और सुरमाल पर्वतोंकी मध्यम लंबाई है ॥ २६३३ ।। ५१८७३८३१३ + ४७७ ३६२ = ५१९२१६ ३४३ । तीन, नौ, छह, नौ, एक और पांच, इन अंकोंसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और एकसौ आठ भाग अधिक उक्त दोनों पर्वतोंकी अन्तिम तथा सुकच्छा और गंधिला देशकी आदिम लंबाई है ॥ २६३४ ॥ ५१९२१६ ११३ + ४७७३१ = ५१९६९३३ १३ । सात, सात, दो, चार, दो और पांच, इन अंकोंसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और एकसौ आठ भाग अधिक सुकच्छा और गन्धिला नामक उन दोनों क्षेत्रोंकी मध्यम लंबाई है ॥ २६३५ ॥ ५१९६९३३९३ + ४५८४ = ५२४२७७३१६ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001274
Book TitleTiloy Pannati Part 1
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages598
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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