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________________ ३१० ] तिलोयपण्णत्ती [ ४. १२५३ चउपुवंगजुदाई वारिधिउवमाण कोडिलक्खाणि । णवमेत्ताणि कहिदो गंदणसामिस्स सो समओ॥ १२५३ ९०००००००००००० पुग्वंग ४ । चउपुव्वंगब्भहिया पओहिउवमाण णउदिमेत्ताणं । कोडिसहस्सा हि पुढं सो समओ सुमइसामिस्स ॥ १२५४ .. ९००००००००००० अंग । चरपुग्वंगब्भहिया सिंधुवमा णवसहस्सकोडीओ । तित्थपवणसमओ पउमप्पहजिणवरिंदस्स ॥ १२५५ ९०००००००००० अंग ४। चउपुव्वंगजुदाओ वसयकोडीओ जलहिउवमाणं । धम्मपयट्टणकालप्पमाणमेदं सुपासस्स ॥ १२५६ ९००००००००० अंग ४। चउपुव्वंगजुदाओ रयणायरउवमणउदिकोडीओ । णिस्सेयपयपयट्टणकालो चंदप्पहजिणस्स ॥ १२५७ ९०००००००० अंग। अडवीसपुब्वअंगाधियपल्लचउत्थभायहीणाओ । मयरायरउवमाणं णदकोडीओ समधिआओ ॥ १२५८ ८९९९९९९९ प ९९९९९९९९९९९९९९९ प ३ रिण अंग २८ । अदिरंगस्स पमाणं पुव्वाणं लक्खमेक्कपरिमाणं । मोक्खस्सणिपयट्टणकालो सिरिपुष्कदंतस्स ॥ १२५९ १०००००। __ अभिनन्दन स्वामीका वह काल चार पूर्वांग सहित नौ लाख करोड़ सागरोपमप्रमाण कहा गया है ॥ १२५३ ॥ सा. ९ लाख करोड़ + पूर्वांग ४ । सुमतिनाथ स्वामीका वह समय चार पूर्वांग अधिक नब्बे हजार करोड सागरोपमप्रमाण कहा गया है ।। १२५४ ॥ सा. ९० हजार करोड़ + पूर्वांग ४ । पद्मप्रभ जिनेन्द्रका तीर्थप्रवर्तनसमय चार पूर्वांग अधिक नौ हजार करोड सागरोपमप्रमाण है ।। १२५५ ॥ सा. ९ हजार करोड़ + पूर्वांग ४ ।। ___ सुपार्श्वनाथ तीर्थकरके धर्मप्रवर्तन कालका प्रमाण चार पूर्वांग सहित नौसौ करोड़ सागरोपम है ॥ १२५६ ॥ सा. ९०० करोड़ + पूर्वांग ४ । चन्द्रप्रभजिनका निश्रेयसपदप्रवर्तनकाल चार पूर्वांग सहित नब्बै करोड़ सागरोपमप्रमाण है ॥ १२५७ ॥ सा. ९० करोड़ + पूर्वांग ४ । श्रीपुष्पदन्त तीर्थंकरका मोक्षमार्गप्रवर्तनकाल अट्ठाईस पूर्वांग अधिक पल्यके चतुर्थ भागसे हीन नौ करोड़ सागरोपमोंसे अधिक है । इस अधिक कालका प्रमाण एक लाख पूर्व है ॥ १२५८-१२५९ ॥ सा. ८९९९९९९९, प. ९९९९९९९९९९९९९९९ - पूर्वांग २८ + पूर्व १००००० । १द मोक्खस्सेण . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001274
Book TitleTiloy Pannati Part 1
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages598
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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