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चउत्थो महाधियारो
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चउसीदिसहस्साई सेयंसे बासुपुजणाहम्मि । यावत्तरि अडसट्ठी विमले छावट्रिया अणंतम्मिः ॥ १०९५ .
से ८४००० । वा ७२०००। विम ६८०००। भणं ६६०००। धम्मम्मि संतिकुंथूअरमल्लीसु कमा सहस्साणि । चउसट्ठी बासट्ठी सट्ठी पण्णास चालीसा ॥ १०९६
धम्म ६४०००।सं २००० । कुं ६०००० । अर ५००००। म ४०... । सुव्वदणमिणेमीसुं कमसो पासम्मि माणम्मि । तीसं वीसट्टारस सोलसचोइससहस्साणि ॥ १०९७
सु ३०००० । ण २०००० । णेमि १८००० । पास १६००० । वीर १४०००। पुष्वधरसिक्खकोहीकेवलिवेकुविविउलमदिवादी। पत्तेकं सत्तगणा सवाणं तित्थकत्ताणं ॥ १०९८ चत्तारि सहस्साई सगसयपण्णास पुन्वधरसंखा । सिक्खगसंखा स श्चिय छस्सय ऊणिं कदं गवरि ॥ १०९९
उसह पुव्व ४७५०, सिक्ख ४१५०, णववीससहस्साणि कमेण ओहिकेवलीणं पि । वेकुम्वीण सहस्सा स श्चिय छस्सयभहिया ॥११००
__ओ ९०००, के २००००, वे २०६००,
भगवान् श्रेयांसके समयमें ऋषियोंका प्रमाण चौरासी हजार, वासुपूज्य स्वामीके बहत्तर हजार, विमलनाथके अड़सठ हजार, और अनन्तनाथके छयासठ हजार था ॥ १०९५ ॥
श्रेयांस ८४००० । वासुपूज्य ७२००० । विमल ६८००० । अनन्त ६६००० ।
धर्मनाथ, शान्तिनाथ, कुंथुनाथ, अरनाथ और मल्लिनाथ तीर्थंकरके समयमें क्रमसे चौंसठ हजार, बासठ हजार, साठ हजार, पचास हजार और चालीस हजारप्रमाण ऋषियोंकी संख्या थी॥ १०९६ ॥ धर्म ६४००० । शान्ति ६२००० । कुंथु ६०००० । अर ५०००० । मल्लि ४००००।
भगवान् सुव्रत, नमि, नेमि, पार्श्वनाथ और वर्धमान स्वामीके समय में क्रमश: तीस हजार, बीस हजार अठारह हजार, सोलह हजार और चौदह हजारप्रमाण ऋषि थे ॥ १०९७ ॥
सुव्रत ३०००० । नमि २०००० । नेमि १८००० । पार्श्व १६००० । वीर १४००० ।
___ सब तीर्थंकरोंमेंसे प्रत्येक तीर्थंकरके पूर्वधर, शिक्षक, अवधिज्ञानी, केवली, विक्रियाऋद्धिके धारक, विपुलमति और वादी, इसप्रकार ये सात संघ होते हैं ॥ १०९८ ॥
ऋषभनाथ तीर्थकरके इन सात गणों से पूर्वधरोंकी संख्या चार हजार सातसौ पचास थी। शिक्षकोंकी भी यही संख्या थी, परन्तु इसमेंसे छहसौ कम थे, इतनी यहां विशेषता है ॥ १०९९ ॥
उक्त तीर्थकरके क्रमसे अवधिज्ञानी नौ हजार, केवली बीस हजार, और विक्रियाधारी छहसौ अधिक बीस हजार थे ॥ ११०० ॥
१द चउदस.
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