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________________ २१८ ] तिलोयपण्णत्ती [४. ५९४इगिवीसपुव्वलक्खा पण्णाससहस्सपुव्वसंजुत्ता। सोलसपुव्वंगहिया रजं पउमप्पहजिणस्स ॥ ५९४ पुव्व २१५०००० अंग १६ । चोद्दस सयस्सहस्सा पुव्वाणं तह य पुवअंगाई। विसदिपरिमाणाई णेयाणि सुपाससामिस्स ॥ ५९५ पुष्व १४००००० अंग २० । पण्णाससहस्साधियछल्लक्खपमाणवरिसपुवाणि । पुवंगा चउवीसा चंदप्पहजिणवरिंदस्स ॥ ५९६ पुष्व ६५०००० अंग २४ । अडवीसपुटवअंगब्भहियं सुविहिस्स पुज्वलक्खद्धं । सीयलदेवस्स तहा केवलयं पुच्चलक्खद्धं ॥ ५९७ पुव्व ५०००० अंग २८ । पुव ५००००। सेयंसजिणेसस्स य दुचालसंखाणि वासलक्खाणि । पढम चिय परिहरिया रजसिरी वासुपुजेण ॥ ५९८ वस्साणि ४२०००००। विमलस्स तीसलक्खा अणतणाहस्स पंचदसलक्खा । लक्खा पणप्पमाणा वासाणं धम्मसामिस्स ॥ ५९९ _ वासाणि ३०००००० । १५०००००। ५०००००। लक्खस्स पादमाणं संतिजिणेसस्स मंडलीसत्तं । तस्स य चक्रधरत्तो तत्तियमेत्ताणि वस्साणि ॥ ६०० २५०००। २५०००। पद्मप्रभ जिनेन्द्रका राज्यकाल सोलह पूर्वांग सहित इक्कीस लाख पचास हजार पूर्वप्रमाण था ॥ ५९४ ॥ पद्मप्रभ पूर्व २१५०००० + पूर्वांग १६ । सुपार्श्वनाथ स्वामीका राज्यकाल बीस पूर्वांग सहित चौदह लाख पूर्वप्रमाण जानना चाहिये ॥ ५९५॥ सुपार्श्व पूर्व १४००००० + पूर्वांग २० । चन्द्रप्रभ जिनेन्द्रके राज्यकालका प्रमाण छह लाख पचास हजार वर्षपूर्व और चौबीस पूर्वांग है ॥ ५९६ ॥ चन्द्रप्रभ पूर्व ६५०००० + पूर्वांग २४ । सुविधिनाथ ( पुष्पदन्त ) स्वामीका राज्यकाल अट्ठाईस पूर्वाग अधिक अर्ध लाख पूर्व, और शीतलनाथका केवल अर्ध लाख पूर्वप्रमाण ही था ॥ ५९७ ॥ सुविधि पूर्व ५०००० पूर्वांग २८ । शीतल पूर्व ५०००० । भगवान् श्रेयांसका राज्यकाल ब्यालीस लाख वर्षप्रमाण था। वासुपूज्य जिनेन्द्रने पहिले ही राज्यलक्ष्मीको छोड़ दिया था ॥ ५९८ ॥ श्रेयांस ४२००००० वर्ष । विमलनाथका राज्यकाल तीस लाख,अनन्तनाथका पन्द्रह लाख, और धर्मनाथ स्वामीका पांच लाख वर्षप्रमाण था ॥ ५९९ ॥ विमल वर्ष ३००००००, अनंत १५०००००, धर्म ५००००० । .. शान्ति जिनेन्द्रका मण्डलेशत्वकाल एक लाखके चतुर्थांशप्रमाण और चक्रवर्तित्वकाल भी इतने ही वर्षप्रमाण था ॥ ६०० ॥ शान्ति-मंडलेशत्व २५०००, चक्रवर्तित्व २५००० वर्ष । १६ब दुवाल. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001274
Book TitleTiloy Pannati Part 1
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages598
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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