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________________ ९४] तिलोपपण्णत्ती [२. २५१ इकतीस दंडाई एको हत्थो तैदियपुढवीए। संपन्जलिदे चरिमिंदयणारइयोण होदि उच्छेहो ॥२५१ चउ दंडा इगि हत्थो पन्वाणि वीस सत्तपविहत्ता । चउ भागा तुरिमाए पुढवीए हाणिकड्डीओ ॥ २५२ ध४, ह, अं२. भा ४॥ पणतीसं दंडाई हत्थाई दोषिण वीस पब्वाणि । सत्तहिदा चउभागा उदओ आरविदाण जीवाणं ॥ २५६ ध३५, ह २, २० भाग चालीस कोदंडा वीसभहि सयं च पख्वाणि । सत्तहिदा उच्छेहो तुरिमाएँ मारपडलजीवाणं ॥ २५४ ध ४०, अं १२० चउदालं चावाणि दो हत्था अंगुलाणि छण्णउदी। सत्तहिदा उच्छेहो तारिंदयसंठिदाण जीवाणं ॥ २५५ ध ४४, ह. २, अं ९६ | एकोणवण्ण दंडा बाहत्तर अंगुला य सत्तहिदा । तश्चिदयम्मितुरिमक्खोणीए णारयाण उच्छेहो ॥ २५६ ध ४९, अं७२ तीसरी पृथिवीके संप्रज्वलित नामक अंतिम इन्द्रकमें नारकियोंके शरीरका उत्सेध इकतीस धनुष और एक हाथप्रमाण है ॥ २५१ ॥ संप्रज्य. प. में ध. ३१, ह. १. ___ चतुर्थ पृथिवीमें चार धनुष, एक हाथ, बीस अंगुल और सातसे भाजित चार भागप्रमाण हानि-वृद्धि है ।। २५२ ।। ध. ४, ह. १, अं. २०४. हा. वृ. ____ आर पटलमें स्थित जीवोंके शरीरका उत्सेध पैंतीस धनुष, दो हाथ, बीस अंगुल और सातसे भाजित चार भागप्रमाण है ॥ २५३ ॥ आर प. में ध. ३५, ह. २, अं. २०१. चतुर्थ पृथिवीके मार नामक पटलमें रहनेवाले जीवोंके शरीरकी उंचाई चालीस धनुष और सातसे भाजित एकसौ बीस अंगुलप्रमाण है ॥ २५४ ॥ मार प. में ध. ४०, अं. १२० (१७६). चतुर्थ पृथिवीके तार इन्द्रकमें स्थित जीवोंके शरीरका उत्सेध चवालीस धनुष, दो हाथ और सातसे भाजित छ्यानबै अंगुलमात्र है ॥ २५५ ॥ तार प. में ध. ४४, ह. २, अं. ९६ (१३७ ). चतुर्थ पृथिवीमें तत्व (चर्चा) इन्द्रकमें नारकियोंके शरीरका उत्सेध उनचास धनुष और सातसे भाजित बहत्तर अंगुलमात्र है ॥ २५६ ॥ चर्चा. प. में ध. ४९, अं. ७२ (१०३). १ब तदिह. २द ब संजलिदे. ३ दबणारइया ४ द ब पंचाए. ५द बतत्सिंदयम्मि. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001274
Book TitleTiloy Pannati Part 1
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages598
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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