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तिलोपपण्णत्ती
[२. २५१
इकतीस दंडाई एको हत्थो
तैदियपुढवीए। संपन्जलिदे चरिमिंदयणारइयोण होदि उच्छेहो ॥२५१
चउ दंडा इगि हत्थो पन्वाणि वीस सत्तपविहत्ता । चउ भागा तुरिमाए पुढवीए हाणिकड्डीओ ॥ २५२
ध४, ह, अं२. भा ४॥
पणतीसं दंडाई हत्थाई दोषिण वीस पब्वाणि । सत्तहिदा चउभागा उदओ आरविदाण जीवाणं ॥ २५६
ध३५, ह २, २० भाग
चालीस कोदंडा वीसभहि सयं च पख्वाणि । सत्तहिदा उच्छेहो तुरिमाएँ मारपडलजीवाणं ॥ २५४
ध ४०, अं १२०
चउदालं चावाणि दो हत्था अंगुलाणि छण्णउदी। सत्तहिदा उच्छेहो तारिंदयसंठिदाण जीवाणं ॥ २५५
ध ४४, ह. २, अं ९६ |
एकोणवण्ण दंडा बाहत्तर अंगुला य सत्तहिदा । तश्चिदयम्मितुरिमक्खोणीए णारयाण उच्छेहो ॥ २५६
ध ४९, अं७२
तीसरी पृथिवीके संप्रज्वलित नामक अंतिम इन्द्रकमें नारकियोंके शरीरका उत्सेध इकतीस धनुष और एक हाथप्रमाण है ॥ २५१ ॥ संप्रज्य. प. में ध. ३१, ह. १.
___ चतुर्थ पृथिवीमें चार धनुष, एक हाथ, बीस अंगुल और सातसे भाजित चार भागप्रमाण हानि-वृद्धि है ।। २५२ ।। ध. ४, ह. १, अं. २०४. हा. वृ.
____ आर पटलमें स्थित जीवोंके शरीरका उत्सेध पैंतीस धनुष, दो हाथ, बीस अंगुल और सातसे भाजित चार भागप्रमाण है ॥ २५३ ॥ आर प. में ध. ३५, ह. २, अं. २०१.
चतुर्थ पृथिवीके मार नामक पटलमें रहनेवाले जीवोंके शरीरकी उंचाई चालीस धनुष और सातसे भाजित एकसौ बीस अंगुलप्रमाण है ॥ २५४ ॥ मार प. में ध. ४०, अं. १२० (१७६).
चतुर्थ पृथिवीके तार इन्द्रकमें स्थित जीवोंके शरीरका उत्सेध चवालीस धनुष, दो हाथ और सातसे भाजित छ्यानबै अंगुलमात्र है ॥ २५५ ॥
तार प. में ध. ४४, ह. २, अं. ९६ (१३७ ).
चतुर्थ पृथिवीमें तत्व (चर्चा) इन्द्रकमें नारकियोंके शरीरका उत्सेध उनचास धनुष और सातसे भाजित बहत्तर अंगुलमात्र है ॥ २५६ ॥ चर्चा. प. में ध. ४९, अं. ७२ (१०३).
१ब तदिह. २द ब संजलिदे. ३ दबणारइया ४ द ब पंचाए. ५द बतत्सिंदयम्मि.
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