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________________ -२. २०६] बिदुओ महाधियारो णिरयपदरेसु आऊ सीमंतादीसु दोसु संखेज्जा । तदिए संखासंखो दससु यसंखो तहेव सेसेसु ॥ २०२ २।१।७।१०।७। (?) एग तिणि य सत्तं दह सत्तारस दुवीस तेत्तीसा । रयणादीचरिमिंदयेजेट्ठाऊ उवहिउवमाणा ॥ २०३ ५।३।७।१०।१७। २२ । ३३ । दसणउदिसहस्साणि भाऊ अवरो य जेठुसीमंते । वरिसाणि णउदिलक्खा णिरइंदयभाउउक्कस्सो ॥२०४ १००००। ९००००। ९००००००। रोरुगए जेट्ठाऊ संखातीदा हु पुवकोडीओ । भंतस्सुक्कस्साऊ सायरउवमस्स दसमंसो । २०५ पुन्छ । २ । सा। दसमंस चउत्थमये जेट्ठाऊ सोहिऊण णवभजिदे । उस्स पढमभूएँ णायव्वा हाणिवडीओ ॥ २०६ नरकपटलोंमेंसे सीमन्त आदिक दो पटलोंमें संख्यात वर्षकी आयु है, तीसरेमें संख्यात व असंख्यात वर्षकी आयु है, और आगेके दश पटलोंमें तथा शेष पटलों में भी असंख्यात वर्षप्रमाण ही नारकियोंकी आयु होती है ॥ २०२ ॥ उन रत्नप्रभादिक सातों पृथिवियोंके अन्तिम इन्द्रक बिलोंमें क्रमसे एक, तीन, सात, दश, सत्तरह, बाईस और तेतीस सागरोपमप्रमाण उत्कृष्ट आयु है ॥ २०३ ॥ सा. १ । ३ । ७ । १० । १७ । २२ । ३३ । सीमन्त इन्द्रकमें जघन्य आयु दश हजार वर्ष और उत्कृष्ट आयु नब्बै हजार वर्षप्रमाण है । निरय इन्द्रकमें उत्कृष्ट आयुका प्रमाण नब्बै लाख वर्ष है ॥ २०४ ॥ सीमंत ई. में ज. आयु १००००; उ.आ. ९००००; नरक इं. में उ. आयु ९०००००० वर्ष । रौरुक इन्द्रकमें उत्कृष्ट आयु असंख्यात पूर्वकोटी, और भ्रांत इन्द्रकमें सागरोपमके दशवे भागप्रमाण उत्कृष्ट आयु है ॥ २०५॥ रौ. ई. में असंख्यात पू. को.; भ्रां. ई. में है. सा.। प्रथम पृथिवीके चतुर्थ पटलमें जो एक सागरके दशवे भागप्रमाण उत्कृष्ट आयु है, उसको प्रथम पृथिवीस्थ नारकियोंकी उत्कृष्ट आयुमेंसे कम करके शेषमें नौका भाग देनेपर जो लब्ध आवे उतना, प्रथम पृथिवीके अवशिष्ट नौ पटलोंमें आयुके प्रमाणको लानेकेलिये हानिवृद्धिका प्रमाण जानना चाहिये । ( इस हानि-वृद्धिके प्रमाणको चतुर्थादि पटलोंकी आयुमें उत्तरोत्तर जोडनेपर पंचमादि पटलोंमें आयुका प्रमाण निकलता है ) ॥ २०६॥ र. प्र. पृ. में उ. आयु एक सागरोपम है, अतः १ - १ ९ = १. हा. वृ. १ द २ । ७ । ७० । १० । • ॥. २ ब चरमिंदिय. ३ द ब आउकस्सो. ४ द ब पढमभाए. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001274
Book TitleTiloy Pannati Part 1
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages598
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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