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________________ 118 Jain Education International एत्थ य चारि कहाओ पण्णत्ताओ जिणेहि सन्देहि । अत्थकहा कामकहा धम्मकहा मीसगकहा || अत्थकहाए अत्यो कामो तह तह चैव कामुयकहाए । भण्इ धम्मकहाए चउव्विहो होइ जह धम्मो ॥ सो पुग एसो मणिभोजिनेहि जयरामोस [पत्र ३, A] मोहि तब-सील दाणभावणमेएन' होइ ओ ॥ अगसनमाई य तवो सील पुण होई चरण- करणं तु । जीवदा दाण अधुवाई भावणा ॥ धम्मो अत्यो कामो भण्णइ मोक्खो वि मीसगकहाए । एसा सा मीसकहा भणामि ह जिणवरे नमिठ ॥२०॥ END इव रिसिदत्ताचरिए परखरविर][ पत्र २५४ A] ए वरे रम्मे । गुणपालविरयमिम पंचम प सम्मत ति ॥ जह सेणियपुट्ठेण जगगुरुगा साहिब ति वीरेण । तह किं पि समासेण मए वि किल साहिय एयं ॥ सोक तुम एवं पालह जिणवीरभा खियं वपण । पावेह जेण अइरा कम्म डहिऊण मोकख ति ॥ इव कुणमाणेग हम पजं कि पि एत्थ मे पुण्ण' । पुण्णेण तेण वह तुम्हे अयरामर ठाण' ।। इस वीरभद्दसूरी माइल [१११५४ B] The Right hand half of the folio No. 155 of this palm-leaf Manuscript is mutilated. The left hand half has got on the front part the broken lines mentioned below in the following order; पंक्ति १ पिं पंचि ३ पंक्ति ४ Some Aspects of Indian Culture संसारि भमंतेण दुक्खद् दुएण रइ [गुणपा०]केण विरइयति ॥ जिणवयण पाविकण एयं नु । . • • वहीणेण तह य लंकारवज्जिएण मह । किल किंपि मए रहय जिणपवयणभ • रोग तवमियम्य मह सुबहरेद्दि . • For Private & Personal Use Only ॥ किंपि विवरीय' । सुयश्यणक लिहिं ॥ जिणपवयण ताव बरपउमपत्तरयणा पड... www.jainelibrary.org
SR No.001132
Book TitleSome Aspects of Indian Culture
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA S Gopani, Nagin J Shah, Dalsukh Malvania
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1981
Total Pages211
LanguageEnglish
ClassificationBook_English & Discourse
File Size15 MB
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