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श्री सिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनसप्ताध्यायीसूत्राणामकाराद्यनुक्रमः ।
घोर्यपि | ४ | ३ |८६ ॥
लघ्वक्षरास-कम् ।३|१|१६०|| लङ्गिकम्प्यो- त्योः ||४|२|४७||
लभः |४|४|१०३॥
ललाटवात - कः | ५|१|१२५ ||
लवणादः | ६|४|६||
लषपतपदः |५|२|४१|| लाक्षारोचनादिकणू |६|२|२||
लिप्स्यसिद्धौ |५|३|१०||
लिम्पविन्दः | ५ | १|६०|| लियो नोऽन्तः - वे |४|२|१५||
लि लौ | १|३|६५|| लिहादिभ्यः | ५ | १|५०|| लीलिनो-पि | ३ | ३ | ९०|| लीलिनोर्वा | ४|२|९||
लुक् | १|३|१३|| लुक्चाजिनान्तात् | ७|३|३९|| लुक्युत्तरपदस्य कप्न् |७|३|३८|| लुगस्यादेत्यपदे |२| १|११३ ॥ लुगातोsनापः | २|१|१०७॥ लुप्यय्वृल्लेनत् |७|४|११२॥ लुबञ्चेः |७|२|१२३|| लुब् बहुलं पुष्पमूले |६|२|५७|| लुब्वाध्यायानुवाके | ७|२|७२|| लुभ्यश्चेर्विमोहा | ४|४|१४|| लूधूसू-त: |५|२|८७||
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लूनवियतात् पशौ | ७|३|२१|| लोकंपूणम-नम् || ३ | २|११३|| लोकज्ञाते-र्ये | ७|४|८४|| लोकसर्व - |६|४|१५७||
लोकात् | १|१|३॥
लोमपिच्छादे: शेलम् |७|२|२८|| लोम्नोऽपत्येषु |६|१|२३|| लो लः |४|२|१६||
लोहितादिश-त् | २|४|६८|| लोहितान्मणौ | ७|३|१७||
वंशादेर्भा-त्सु |६|४|१६६।।
वंश्यज्यायो - वा | ६ | १|३||
वंश्येन पूर्वार्थे | ३|१|२९| वचोऽशब्दनाम्नि | ४|१|११९||
वञ्चस्रंसध्वंस-नी |४|१|५०||
वटकादिन् | ७|१|१९६॥
वतण्डात् |६|१|४५ ||
वत्तस्याम् |१|१|३४|| वत्सशालाद्वा | ६ |३|१११|| वत्सोक्षाश्व-पित् |७|३|५१||
वदव्रजलः | ४|३|४८ || वदोऽपात् । ३।३।९७।।
वन्यापञ्चमस्य |४/२/६५|| मि वा | २|३|८३ ॥ म्यविति वा |४| २|८७|| वय: शक्तिशीले |५|२|२४||
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