SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 608
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वीयं परिसिहं-सहाणुक्कमो मूलसहो सक्कयस्थो सुत्तंकाइ | मूलसद्दो सक्कयत्यो सुत्तंकाइ ओघसण्णा ओघसंज्ञा ७२५ तः ७२७ ओरालियमीसा- औदारिकमिश्रशरीरकायओढावलंबिणी ओष्ठावलम्बिनी १२३७ सरीरकायजोगं योगम् २१७३ [२] ओविणाग अवधिज्ञान ४५९ [१] ओरालियमीसा- औदारिकमिश्रओविणाणी अवधिज्ञानी ४६० सरीरकाय- शरीरकायओफिडित्ता उत्स्फिटित्वा -उत्प्लुत्य प्पओगिणो प्रयोगिणः १०८३ पृ. २७१ टि. ९ ओरालियमीसा- औदारिकमिश्रशरीरकायओभंजलिया चतुरिन्द्रियजीवाः ५८[१] सरीरकायप्पओगी प्रयोगी ०-ओभासा अवभासा: १६७ तः १७४ ओरालियमुक्केल्लगा औदारिकमुक्तानि ओमत्तं अवमत्वम् ९११ [१] ओयविय तेजित १७८ [२] मोरालियसरीर- औदारिकशरीरकाययोगम् ओयाहारा ओजआहारा १८६२, कायजोगं २१७३ [२] १८६४ ओरालियसरीर- औदारिकशरीरकायप्रयोगी ओरालाई उदाराणि २०५२ [२, ४] कायप्पओगी १०८३ ओरालिए औदारिकम् ९०१,९०४, औदारिकशरीरकाय९०६, ९०८, १४७५ प्रयोगिणः १०८० तः ओरालिएण औदारिकेण १५६३ [२] १०८३ ओरालिय- औदारिकाणि १५४४ [२] ओरालियसरीर- औदारिकशरीरकायप्रयोगः भोरालिय. औदारिक १५६५, कायप्पओगे १०६८, १०७२ तः १५६६, १७०२ [१४], १०७४ २१७५, पृ.२२७ टि.१-२ ओरालियसरीरगा औदारिकशरीरकाणि • ओरालिय- औदारिकाणि १४७९ ९१४[१] ओरालियमीसग- औदारिकमिश्रकशरीरकाय ओरालिय- औदारिकशरीरनाम्नः सरीरकायजोगं योगम् २१७३ [२] सरीरणामाए १७०२[१०] ओरालियमीसग- औदारिकमिश्रक ओरालियसरीरणामे औदारिकशरीरनाम सरीरकायप्प- शरीरकाय १६९४ [३] ओगी प्रयोगी ओरालियसरीर- औदारिकशरीर ___बंधणणामे ओरालियमीससरी- औदारिकमिश्रशरीरकाय बन्धननाम १६९४[५] रकायप्पभोगिणो प्रयोगिणः १०८३ ओरालियसरीरया औदारिकशरीरकाणि ओरालियमीस- औदारिकमिश्र. ___९१० [१] सोरालियसरीर- औदारिकशरीरसरीरकायप्प- शरीरकाय संघातणामे सङ्घातनाम १६९४ [६] ओगी प्रयोगी १०८३ ओरालियसरीरस्स औदारिकशरीरस्य १५०२, औदारिकमिश्रशरीरकाय १५३८, १५५३, १५५६, प्रयोगिणः १०८० तः १५५७, १५६६ १०८३ .ओरालिय- औदारिकशरीरस्य ओरालियमीस- औदारिकमिश्रशरीरकाय सरीरस्स १५०६ [१], १५०७[१] सरीरकायप्प- प्रयोगः १०६८, ०-ओरालिय१०७२ तः १०७४। सरीरस्स १५१३ [१] ओगे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001064
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorPunyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1971
Total Pages934
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy