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________________ २४ १० १५ २० २५ पण्णवणासु पढमे पण्णवणापप जस्स बीयस्स भग्गस्स हीरो भंगे पदीसति । परित्तजीवे उसे बीए, जे यावऽण्णे तहाविहा ॥ ७५ ॥ [५] जस्स मूलस्स कट्ठाओ छली बहलतरी भवे । अणंतजीवा उ सा छल्ली, जा यावऽण्णा तहाविहा ॥ ७६ ॥ जस्स कंदस्स कट्ठाओ छली बहलतरी भवे । Jain Education International [सु. ५४ अनंतजीवा तु सा छली, जा यावऽण्णा तहाविहा ॥ ७७ ॥ जस्स खंधस्स कट्टाओ छली बहलतरी भवे । अणंतजीवा उसा छली, जा यावऽण्णा तहाविहा ॥ ७८ ॥ जीसे सालाए कट्ठाओ छल्ली बहलतरी भवे । अणंतजीवा उ सा छल्ली, जा यावऽण्णा तहाविहा ॥ ७९ ॥ [६] जस्स मूलस्स कट्ठाओ छल्ली तणुयतरी भवे । परित्तजीवा उसा छली, जा यावऽण्णा तहाविहा ॥ ८० ॥ जस्स कंदस्स कट्टाओ छल्ली तणुयतरी भवे । परित्तजीवा उ सा छली, जा यावऽण्णा तहाविहा ॥ ८१ ॥ जस्स खंधस्स कट्ट्ठाओ छली तणुयतरी भवे । परित्तजीवा उ सा छली, जा यावऽण्णा तहाविहा ॥ ८२ ॥ जीसे सालाए कट्ठाओ छल्ली तणुयतरी भवे । परित्तजीवा उ सा छली, जा यावऽण्णा तहाविहा ॥ ८३ ॥ [७] चक्कागं भज्जमाणस्स गंठी चुण्णघणो भवे । पुढविसरिसेण भेएण अणंतजीवं वियाणाहि ॥ ८४ ॥ गूढछरागं पत्तं सच्छीरं जं च होति णिच्छीरं । जं पि य पणट्ठसंधिं अनंतजीवं वियाणाहि ॥ ८५ ॥ [८] पुप्फा जलया थलया य वेंटबद्धा य णालबद्धा य । संखेज्जमसंखेज्जा बोधव्वाऽणंतजीवा य ॥ ८६ ॥ जे केइ नालियाबद्धा पुप्फा संखेज्जजीविया भणिता । णिहुया अणंतजीवा, जे यावऽण्णे तहाविहा ॥ ८७ ॥ पउमुप्पलिणीकंदे अंतरकंदे तहेव झिली य । १. पुढवीसरिसभेएण जे० म० पु२ ॥ २. यावऽण्णा प्र० ॥ ३. अणंतर जे० ध० म० प्र० ॥ ४. जिल्ली जे० म० प्र० ॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001063
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorPunyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1969
Total Pages506
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size9 MB
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