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________________ २६. छब्बीसइमं कम्मवेयबंधपयं [सुत्ताई १७७५-८१. णाणावरणिज्जवेदएसु जीवाईसु कम्मपयडिबंधपरूवणं] १७७५. [१] कति णं भंते ! कम्मपगडीओ पण्णताओ १ गोयमा ! अट्ठ कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ। तं जहा–णाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं । [२] एवं णेरइयाणं जाव वेमाणियाणं । १७७६. जीवे णं भंते ! णाणावरणिजं कम्मं वेदेमाणे कति कम्मपगडीओ बंधति? गोयमा! सत्तविहबंधए वा अट्ठविहबंधए वा छविहबंधए वा एगविहबंधए वा। १७७७. [१] णेरइए णं भंते ! णाणावरणिकं कम्मं वेदेमाणे कति कम्मपगडीओ बंधति ? गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अट्टविहबंधए वा। [२] एवं जाव वेमाणिए। [णवरं] मणूसे जहा जीवे (सु. १७७६)। १० १७७८. जीवा णं भंते ! णाणावरणिज कम्मं वेदेमाणा कति कम्मपगडीओ बंधति ? गोयमा! सव्वे वि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य १ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधए य २ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधगा य ३ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगे य ४ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य १५ एगविहबंधगा य ५ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधए य एगविहबंधए य ६ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य ए छविहबंधए य एगविहबंधगा य ७ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य छव्विहबंधगा य एगविहबंधए य ८ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधगा य एगविहबंधगा य ९, एवं एते नव भंगा। २० १७७९. अवसेसाणं एगिदिय-मणूसवजाणं तियभंगो जाव वेमाणियाणं । १७८०. एगिदिया णं सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य । १७८१. मणूसाणं पुच्छा। गोयमा ! सव्वे वि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा १ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगे य २ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य ३ अहवा सत्तविहबंधगा य छव्विहबंधए य, एवं छविहबंधएण २५ वि समं दो भंगा ५ एगविहबंधएण वि समं दो भंगा ७ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधए य छविहबंधए य चउभंगो ११ अहवा सत्तविहबंधगा य १. वेदमाणे पु२, एवमन्यत्रापि ॥ २. वेदमाणा पुर, एवमन्यत्रापि ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001063
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorPunyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1969
Total Pages506
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size9 MB
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