SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 438
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २४, चउवीसइमं कम्मबंधपयं [सुत्ताई १७५४-६१. णाणावरणिजबंधएम जीवाईसु कम्मपयडिबंधपरूवणं] १७५४. [१] कति णं भंते ! कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! अट्ठ कम्मपगडीओ पण्णताओ । तं जहा-णाणावरणिजं जाव अंतराइयं । [२] एवं णेरइयाणं जाव वेमाणियाणं । १७५५. जीवे णं भंते ! णाणावरणिज कम्मं बंधमाणे कति कम्मपगडीओ बंधति ? गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अट्ठविहबंधए वा छविहबंधए वा। १७५६. [१] णेरइए णं भंते ! णाणावरणिजं कम्मं बंधमाणे कति कम्मपगडीओ बंधति ? गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अट्ठविहबंधए वा। [२] एवं जाव वेमाणिए । णवरं मणूसे जहा जीवे (सु. १७५५)। १० १७५७. जीवा णं भंते ! णाणावरणिकं कम्मं बंधमाणा कति कम्मपगडीओ बंधंति ? गोयमा ! सव्वे वि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य १ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छविहबंधगे य २ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य छव्विहबंधगा य ३।। १७५८. [१] णेरइया णं भंते ! णाणावरणिजं कम्मं बंधमाणा कति १५ कम्मपगडीओ बंधंति ? गोयमा ! सव्वे वि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा १ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगे य २ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य, ३ तिण्णि भंगा। [२] एवं जाव थणियकुमारा । १७५९. [१] पुढविक्काइयाणं पुच्छा। गोयमा ! सत्तविहबंधगा वि २० अट्ठविहबंधगा वि। [२] एवं जाव वणस्सतिकाइया। १७६०. वियलाणं पंचेंदियतिरिक्खजोणियाण य तियभंगो-सव्वे वि ताव होजा सत्तविहबंधगा १ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधए य २ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य ३। १७६१. मणूसा णं भंते ! णाणावरणिजस्स पुच्छा । गोयमा ! सव्वे वि ताव होजा सत्तविहबंधगा १ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधए य २ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य ३ अहवा सत्तविहबंधगा य छव्विहबंधए य ४ २५ २५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001063
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorPunyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1969
Total Pages506
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy