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पण्णवणासुत्ते सत्तरसमे लेस्सापए चउत्थु से
[सु. १२३५भंगीरए इ वां पाढा इ वा चैविता इ वा चित्तामूलए इ वा पिप्पलीमूलए इ वा पिप्पली इ वा पिप्पलिचुण्णे इ वा मिरिए इ वा मिरियचुण्णे इ वा सिंगबेरें इ वा सिंगबेरचुण्णे इ वा । भवेतारूवा ? गोयमा ! णो इणट्टे समट्ठे, नीललेस्सा णं एत्तो जाव अमणामतरिया चेव अस्साएणं पण्णत्ता ।
१२३५. काउलेस्साए पुच्छा । गोयमा ! से जहाणामए अंबाण वा अंबाडगाण वा माउलुंगाण वा बिल्लाण वा कविट्ठाण वा भट्ठाण वा फणसाण वा दालिमाण वा पारेवयाण वा अक्खोलाण वा चोराण वा बोराण वा तेंदुयाण वा अपिक्काणं अपरियागाणं वण्णेणं अणुववेताणं गंधेण अणुववेयाणं फासेणं अणुववेयाणं । भवेतारूवा ? गोयमा ! णो इणट्ठे समट्ठे, जाव एत्तो अमणामयरिया १० चेव काउलेस्सा अस्साएणं पण्णत्ता ।
१२३६. तेउलेस्सा णं पुच्छा । गोयमा ! से जहाणामए अंबाण वा जीव तेंदुयाण वा पिक्कणं परियावण्णाणं वण्णेणं उववेताणं पसत्थेणं. जाव फासेणं जाव एत्तो मणामयरिया चेव तेउलेस्सा अस्साएणं पण्णत्ता ।
१२३७. पम्हलेस्साए पुच्छा । गोयमा ! से जहागामए चंदप्पभा इवा १५ मणिसिलागा इ वा वरसीधू इ वा वरवारुणी ति वा पत्तासवे इ वा पुप्फासवे इ वा फलासवे इ वा चोयासवे इ वा आसवे इ वा मधू इ वा मेए इ वा कविसाणए इ वा खज्जूरसारए इ वा मुद्दियासारए इ वा सुप्पिक्कखोयरसे इव अट्ठपट्टणिट्टिया इ वा जंबूफलकालिया इ वा वरपसण्णा इ वा आँसला मसला पेसला ईसी ओट्ठावलंबिणी ईसिं वोच्छेयकडुई ईसी तंबच्छिकरणी उक्कोसमयपत्ता वण्णेणं
१. वा पाढी इ वा पाढा इ वा चपा इ वा चित्ता' पु२ ॥ २. चविता इ वा इति पाठो मलयवृत्तौ न व्याख्यातः ॥ ३. पिप्पलीमूलए इ वा इति पाठो जे० ध० श्रीजीव विजयकृतस्तबके च नास्ति ॥ ४. माउलिंगाण मु० ॥ ५. भयाण ध० म० प्र० पु२ । " भच्चाण - भर्चवृक्षना फल " श्रीजीवविजयगणिकृतस्तबके । " भद्दाण-द्राष अपक्व जेहवी" श्रीधनविमल गणिकृत स्तबके । दृश्यतां पत्रं२७३ टि.४॥ ६. अक्खोडयाण म० प्र० पु२ ॥ ७. " वा बोराण वा पोराण वा तें° बोर प्रसिद्ध, प्रोराणि प्रौढबदराणि " इति श्रीधनविमलगणिकृतस्तबके ॥ ८. चोराण वा इति पाठो पुर मुद्रिते जीवविजयगणिकृतस्तबके च नास्ति । चाराण वा प्र० । दृश्यतां पत्रं २७३ टि.८ ॥ ९, अपक्काणं पु२सं० मु० ॥ १०. जाव तेंदुयाण वा इति पाठः पु२ प्रतावेव ॥ ११. पक्काणं म० प्र० पु२ ॥ ६२. आसाएणं ध० म० प्र० ॥ १३. मणसिलागा इ जे० । मणिसिला इ म० प्र० । मणिसलागा इ पु२ ॥ १४. मेरतिए इ जे० ध० ॥ १५. सुपक्क मु० ॥ १६. वा कडुयपि जे० । वा कटुपिट्ठ म०प्रतौ पाठान्तरम् ॥ मलयवृत्तौ न व्याख्यातः ॥ १८. मंसला म० मु० ॥
१७.
भासला इति पाठो
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