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गाईको
२५६९ २४९७ 2778 ४१६१ २४००
2723
३०७७ 1819
511 1803 ६८२
२९४ 'पइण्णयसुत्ताइ भाग १-२'गंथाणं गाहाणं अणुक्कमो गाहा
गाहको | गाहा ,, जिणगिहाइ आसायंतो
184 ,, मण-वय-काए हिं ,, जिणवरेहिं भणियं
2299 ' मलण-दलण-विहलण, जीवधायजणयं
२६२१
, मे अदत्तयं पि हु जीववहेण विणा
1435
, रयणिं सिद्धिगओ जोयणविस्थिणं
३२२४ , राग-दोसमइयं , पर-तिरिक्ख-दिवे
2233
" राग-दोस-मोहेण " तत्तलोहपडिमा
853 ,, लहइ अन्नतित्थे , तु परं णवएहिं
१६४५ , वा दिसमुवणीयं , तेसु न वावारो
1166 ,, वाविद्धं विच्चामेलिय , दीहकालसंवासयाए
108 ,, वेलं कालगओ " दुक्खं संपत्तो
868 सग्गहम्मि कीर , नत्यि सम्वबाहाओ
1888
, सव्वदव्व-पजव" न लहइ सम्मत्तं
९५३ , संठाणं तु इहं ,, नाणं तं करणं
५६५ ,, संभरामि सम्म , नारयाण दुक्खं
845
, सासयसुहसाहण,, निजरेइ कम्म
८०३ ,, सीसपूरओ त्तिय , नेरइया(? अन्नाणी) कम्म पृ० ७५ टि० , सुचिरेण वि होहिइ , पंचसु समिईसुं
186 , सुद्धिकारणकयं जंतेणं तइया
2217
" सुहुम बायरं वा जं पायवो ब्व उद्धडिओ
1855
" सुहेण सुहं लद्धं पिच्छसि जियलोए
669 , सूल-क्ख(कू)डसामलि* जंपिय इमं सरीरं इ8 कंत १४२१ ,, हवइ भागलद्ध तं कातन्वं जं पि य इमं सरीरं इट्ट
पृ.८४ टि०
" हवति तत्थ सेसं " "" "दइयं
", भागलद्धं तं इच्छं जंपि सरीरं इह
२६२३
" हुतासं विवजेति , पुण देहं सयणं
२६३० , होइ अण्णदिई जं पुवं तं पुन्वं
जाइ-कुल-रूव-जोवण,, पेम्मरागरत्तो
जाइ-जरा-मरणाई , बद्धमखिजाहिं
२४५७ जाइ दिसाए गामो जंबुद्दीवपरिरये
३४५६ जाइमएणिक्केण वि जंबुद्दीवसमा खलु
जाहमए हरिकेसी जंबुद्दीवस्स मवे
३३३३ जाई चिय गेह-कुडुंबयाई जंबुद्दीवं काऊण
जाई जाइं जाओ जंबुद्दीवाहिवई
२२८१ जाई कुलमय-बलमयजंबुद्दीवाहितो
पृ० २७२ टि. १ जाईसरा जिणिंदा जंबुद्दीवो लवणो
३२६४ जा उत्तरेण सोलस जं मग्गो अवलविओ
२६२० । मा एस सत्तमी सा
२८७, ४७८०
210 २६४५
४४४ ११२० 1525 2230 २०१४ 1693 ३३०४ ३४९४ ३४४७ २०८३ 1284
551
८५४
2413 1812
637
638 २६२६ 2360
634 ३८१७ २११३ ६६८
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