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________________ २९० 'पइण्णयसुत्ताई भाग १-२'गंथाणं गाहाणं अणुक्कमो . गाहको गाहा गाहंको । गाहा , तह वि असुहकम्मोदएण 1654 , रे! पुढविजिओ , ता इह अन्नाणी 780 " सयणिजगओ "" एते एवं 1686 जइरिच्छाए भएण व ", कया पमाणं 1719 जइ वणिसुयाए दुक्खं "" तारिसयाओ 878 "वहसि कहवि अत्थं " , दुगुंछइ नरो 1549 ,, वि करेइ पमायं , तारिसिया तण्हा 881, 1716 ,,, न सकं काउं , ताव ते मुणिवरा आराहेति पृ० ८८ टि० "" परिचत्तसंगो " " " , आरोविय २४५९ ", बहुरूवधारी " , " सुपुरिसा आयारो- १०१९,१५२० ,, [य] दिवसेण पयं ,,, , गिरि- १५२१ ", स खंडियचंडो ,,, सावयाकुल...। धिइ- १०२०, है, सयं थिरचित्तो १३००, 89, 811 ,,, सुयनाणकुसलो "" " ...। साहिति १३००,89, ,वेयणासमूहे 811 जइसागरोवमाई ", सावियाहि वि 830 जह से दुक्खचाए " , साहुणीहि वि 817 , सो वि सम्वविरई बइ तासु भावियप्पा 1789 "हुज मच्छियापत्त, दिवसे संचिक्खइ 1818 जक्खा य जक्खदिण्णा , नाणाइमओ वि हु 636 जगआहारो संघो नाम तहऽण्णाणी 1669 जगमस्थयत्थयाणं ", परमधम्मो 1434 जग्गाहि, मा सुवाही ,, परो पडिसेवेजा १९८५ जड्डाणं वड्डाणं , पासंडी वि इमं जणणिसहिए जिगिंदे जइ पुण करेइ साहू 1942 जणवयवंसं पत्तो ", कहंचि संचिय 1593 जणवादो ण ताएजा ", पुव्वं लद्धो 2499 जति अयणा सुज्झंती "" भत्तपरिन्नं 229 , मे परो व गरहाति " , सयगनिसेहाइ 158 , होति विसमलद्धं " पुण्णमासि इच्छसि ३४८३ जत्तियमेत्तं दिण्णं , बीहंति उ जीवा १३०५ जत्तियमेत्ते दिवसे , मरणेहिं ण कर्ज 2418 जत्तेण तेलकीला , मिच्छदिठियाण वि 595 जत्तो पाणवहादी , मूलगुणे उत्तर 1291 " वट्टविमाणं ,मे परो पसंसति जत्तोहुत्तं गामो ", होज पमाओ २६११ जत्थ अणुत्तरगंधा जया राग-द्दोसा 1582 " जयार-मयारं | astralia 2347 १३९६ ३८०४ 662 628 ६१७ २९१६ २७६७, 1572 २४९९ पृ० ७४ टि. २६६४ २९४९ ५३७,५४४ 2669 २३१ 1843 २६७१ 1544 ४२९५ २४५२ ४८९ १९८८ ४७९, ४७३४ ३७२८ ४४२० १६५० ३४९१ १६२६ ३५३१ ४३२९ ३१४ 553 1452 २१५ 1808 २२२ २९९३ 832 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001045
Book TitlePainnay suttai Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Amrutlal Bhojak
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1987
Total Pages427
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, agam_anykaalin, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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