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________________ ૨૯ 'आराहणासार 'अवरणामा 2135. हासेणं व भएण व सोएण व दुडकम्मयाए वा । आलस्सेण य सहसागारेणं तह अणाभोगा ॥ २१४॥ 2136. ते मे खमंतु सव्वे, अहमवि तेसिं खमामि अवराहं । मित्तीभावमुवगओ वेरपबंधेण य विमुक्का ॥ २१५ ॥ 2137 तह रज्जतलारत्तं गुत्तीवालत्तणं अमच्चत्तं । लहिउं अईयकाले किं किं न कयं जियाण मए १ ॥ २१६ ॥ 2138. रणभूमिइया केई, केई ऊसासिया य सेहविया । आहेsयम्मि वहिया, अन्ने य गहाविया दिव्वं ॥ २१७ ॥ 2139. दुव्वयणिया य केई, कुंभीपाएण पाइया अन्ने । गुत्ती केइ छूढा, जणमज्झे धरिसिया अन्ने || २१८ ॥ 2140. केई हडीसु खित्ता, अन्ने सूलासु रोविया, अवरे । पीलाविया य जंते, पमद्दिया कडगमद्देण ॥ २१९ ॥ 2141. संडसिया केइ जिया, अन्ने नियलेहिं दामिया चलणे | अयसंकलसंकलिया, केई हत्थंदुयनिबद्धा ॥ २२० ॥ 2142. काण वि पट्टा गहिया, केई सि (सी) यारिया रसंता य । काण व हि अरला दवाविया, तह सिला बहुसो ॥ २२९ ॥ 2143. सट्टेहिं के विनिहया, नहेसु बुं ( ? छं) दाई केसि दिन्नाई । काविण पूरि गाढं सिया ( १ सीवा ) विया उट्टं (१ट्ठ) ॥ २२२ ॥ 2144 तिलकडाहिसु तलिया, सलिलपवाहे पवाहिया अन्ने । के पलीय वहिया, गलहत्थं दांविया अन्ने ॥ २२३ ॥ 2145. उब्बंधिया तरूसुं केई, ढिंकुलिस रोविया के वि । हिमपाए सिसिरेणं जलेण सिंचाविया अन्ने ॥ २२४ ॥ 2146. सिरछिन्ना के वि कया जीहा-कर-चरण - नासछिन्ना य । उद्धरियलोयणजुया, काण वि पाडाविया दसणा ॥ २२५ ॥ 2147. लुयकन्ना के वि कया, उक्खयकेसा य छिन्नउट्ठउडा । केई सत्थेहिं हया, अन्ने बंधाविया गाढं ॥ २२६ ॥ Jain Education International 6 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001045
Book TitlePainnay suttai Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Amrutlal Bhojak
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1987
Total Pages427
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, agam_anykaalin, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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