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२. आराहणापडाया 1840. सयमेव अप्पणा सो करेइ आउंटणाइकिरियाओ।
उच्चाराइ विगिचइ सयं च सम्मं निरुवसग्गे ॥ ९०८॥ 1841. जाहे पुण उवसग्गा दिव्वा माणुस्सया व से हुजा।
ताहे निप्पडिकम्मो ते अहियासेइ विगयभओ ॥९०९॥ 1842. पत्थिनंतो वि तओ किण्णर-किंपुरिसदेवकण्णाहिं।
न य सो तहा वि खुन्भइ, न विम्हयं कुणइ रिद्धीए ॥ ९१०॥ 1843. जइ से दुक्खत्ताए सव्वे वि य पुग्गला परिणमिज्जा ।
तह विन से थेवा वि हु विसोत्तिया होइ झाणस्स ॥ ९११॥ 1844. सव्वो पुग्गलकाओ अहव सुहत्ताए तस्स परिणमइ ।
तह वि न से संजायइ विसोत्तिया सुद्धझाणस्स ॥ ९१२॥ 1845. सच्चित्ते साहरिओ सो तत्थुप्पिक्खए विमुक्कंगो ।
उवसंते उवसग्गे जयणाए थंडिलमुवेइ ॥ ९१३ ॥ 1846. वायण-परियट्टण-पुच्छणाओ मुत्तूण तह य धम्मकहं ।
सुत्त-ऽत्थपोरिसीए सरेइ सुत्तं च एगमणो ॥९१४ ॥ 1847. एवं अट्ठ वि जामे अतुयट्टो झायई पसण्णमणो ।
आहच निदभावे वि नत्थि थेवं पि सइनासो ॥ ९१५॥ 1848. सज्झाय-कालपडिलेहणाइयाओ न संति किरियाओ।
जम्हा सुसाणठाणे वि तस्स झाणं न पडिकुटुं ।। ९१६॥ 1849. आवासयं च सो कुणइ उभयकालं पि जं जहिं कमइ ।
उवहिं पडिलेहेइ य मिच्छक्कारो य से खलिए ॥ ९१७॥ 1850. वेउव्वण-माहारय-चारण-खीरासवाइलद्धीओ।
कन्ने वि समुप्पण्णे विरागभावा न सेवइ सो ॥ ९१८॥ 1851. मोणाऽभिग्गहनिरओ आयरियाईण पुव्ववागरओ।
देवेहि माणुसेहि य पुट्ठो धम्मक्कहं कहइ ॥ ९१९ ॥
१. गरहिमओ मो० विना॥ पा.११
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