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________________ ११७ ११७ २. आराहणापडाया 1309. इय पयविभागियं ओघियं च आलोयणं स दाऊणं । सव्वगुणसोहिकंखी गुरूवएसं समारुहइ ॥ ३७७ ॥ 1310. कयपावो वि मणूसो आलोइय निंदिउं गुरुसयासे । होइ अइरेगलहुओ ओहरियभरो व्व भारवहो ॥ ३७८ ॥ 1311. आलोयणं सुणित्ता तिक्खुत्तो भिक्खुणो उवाएणं । जइ उज्जुओ ति नजइ जहाकडं पट्टवेयव्वो ॥ ३७९ ।। 1312. आउरसल्ले मोसे मालागररज्जकज तिक्खुत्तो । आलोयणा वि एवं कायव्वा उजुयाऽऽहरणा ॥ ३८० ॥ 1313. पडिसेवणाइयारे जइ नाऽऽउंटे जहक्कम सव्वे । न करिंति तओ सोहिं आगमववहारिणो तस्स ॥ ३८१ ॥ 1314. पडिसेवणाइयारे जइ आउंटे जहक्कम सव्वे । कुव्वंति तओ सोहिं आगमववहारिणो तस्स ॥ ३८२ ॥ 1315. आलोइयम्मि खमएण छेयसुत्तऽत्थजाणगगणी सो । तो आगमवी सम्मं करेइ सुत्ते य अत्थे य ॥३८३ ॥ 1316. पडिसेवओ वि वर्षिं व कुणइ हाणिं व पावकम्मस्स । परिणामवसेण जियस्स तत्थ तिव्वा व मंदा वा ॥ ३८४ ॥ 1317. पडिसेविउं किलिट्ठो गालेइ गुणे, नवं च आवियइ। . पुवकयं च ददं सो दुग्गइ-भवबंधणं कुणइ ॥ ३८५॥ 1318. पडिसेवित्ता कोई पच्छायावेण डज्झमाणमणो । संवेगजणियकरणो देसं घाएज सव्वं वा ॥३८६॥ 1319. जह आउयवेयविऊ रोगं नाऊण ताण तेगिच्छं । तह सुत्तविऊ नाउं विप्परिणामं विसोहेइ ॥ ३८७॥ 1320. एयारिसस्स मूले, असती उज्झायमाइपामूले । वासासु तवं काउं संथारै ठाइ हेमंते ॥ ३८८॥ गुण-दोसा २ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001045
Book TitlePainnay suttai Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Amrutlal Bhojak
PublisherMahavir Jain Vidyalay
Publication Year1987
Total Pages427
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, agam_anykaalin, & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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