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सिरिवीरभदायरियविरइया 1080. संलीणयाउवगओ पसत्थजोगेहिं सुप्पउत्तेहिं ।
पंचसमिओ तिगुत्तो आयट्ठपरायणो होइ ॥१४८॥ 1081. सो नाम बाहिरतवो जेण मणो मंगुलं न चिंतेइ ।
जेण य न जोगहाणी, मणनिव्वाणी य से होइ ॥१४९॥ 1082. बाहिरतवेण निचं पि होइ सुहसीलया परिचत्ता ।
संलिहियं च सरीरं, ठविओ अप्पा य संवेगे ॥१५॥ 1083. दंताणि इंदियाणि य अप्पडिबद्धो य देहरतिसुक्खे ।
अणिगृहियवीरियया जीवियतण्हा य वुच्छिण्णा ॥ १५१ ॥ 1084. बहुयाणं संवेगो जायइ, केसिंचि बीयबंधो य ।
मग्गो य दीविओ, भगवओ य अणुपालिया आणा ॥ १५२॥ 1085. अणुपुव्वेणाऽऽहारं संवटितो य संलिहे देहं ।
आयंबिलं तु तहियं मुणिणो उक्कस्सयं विति ॥ १५३ ॥ 1086. संलेहणाइ कालो उक्किट्ठो जिणवरेहिं निद्दिट्ठो।
कालम्मि पहुप्पंते बारस वासाणि पुण्णाणि ॥१५४॥ 1087. चत्तारि विचित्ताई, विगईनिजहियाइं चत्तारि ।
संवच्छरे य दुण्णि उ एगंतरियं च आयामं ॥१५५॥ 1088. नातिविकिट्ठो य तवो छम्मासे, परिमियं च आयामं ।
अण्णे वि य छम्मासे होइ विगिटुं तवोकम्मं ॥१५६ ॥ 1089. वासं कोडीसहियं आयामं कटु आणुपुव्वीए ।
पाओवगमं धीरो पडिवजइ मरणमियरं वा ॥१५७॥ 1090. वायक्खोभादिभया जहसत्तीए तवं कुणइ एसो ।
अज्झवसाणविसुद्धिं संलिहमाणो न मुंचिज्जा ॥ १५८॥ 1091. अज्झवसाणविसुद्धी कसायकलुसीकयस्स से नत्थि।
ता तस्स सुद्धिहेउं संलिहइ तओ कसायकलिं ॥१५९ ॥ 1092. कोहं खमाइ, माणं च मद्दवेणऽजवेण मायं च ।
संतोसेण य लोहं, संलिहइ लहुं कसाए सो ॥१६०॥
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