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वियाहपण्णत्तिसुत्तं [स० ३३-३,४,५ उ० १-११
[बिइए एगिदियसए तइओ उद्देसओ] [सु. १-२. परंपरोववन्नगकण्हलेस्सएगिंदियभेय-पभेया, तेसु य
कम्मपगडिबंध-घेदणपरूवणं] १. कतिविधा णं भंते ! परंपरोक्वन्नगा कण्हलेस्सा एगिंदिया पन्नत्ता ? ५ गोयमा! पंचविहा परंपरोववन्नगा० एगिदिया पन्नत्ता, तं जहा-पुढविकाइया०, __ एवं एएणं अभिलावेणं चउक्कओ भेदो जाव वणस्सतिकाइय ति।
२. परंपरोववन्नगकण्हलेस्सअपज्जत्तसुहुमपुढविकाइयाणं भंते! कति कम्मप्पगडीओ पन्नत्ताओ ? एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ओहिओ परंपरोववन्नगउद्देसओ तहेव जाव वेदेति।
[॥३३-२.३॥]
[बिइए एगिंदियसए चउत्थाइएगारसमपजंता उद्देसगा] [सु. १. पढमएगिदियसयाणुसारेणं चउत्थाइएकारसमपजंतउद्देसवत्तव्वया
निदेसो १. एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ओहिए एगिदियसए एक्कारस उद्देसगा १५ भणिया तहेव कण्हलेस्ससते वि भाणियव्वा जाव अचरिमकण्हलेस्सा एगिदिया।
[॥ ३३-२.४-११॥ ॥ बितियं एगिदियसयं समत्तं ॥ ३३-२॥
[तइए एगिंदियसए पढमाइएक्कारसपजता उद्देसगा] [सु. १ बिइयएगिदियसयाणुसारेणं नीललेस्सएगिदियवत्तव्ययानिर्देसो]
१. जहा कण्हलेस्सेहिं एवं नीललेस्सेहि वि सयं भाणितव्वं । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति।
__[॥३३-३.१-११॥]
॥ ततियं एगिदियसयं समत्तं ॥ ३३-३॥ १. °गा कण्ह० ए' मु० ॥ २. °णं तहेव चउ° मु०॥
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